ग्वालियर। संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में इस बार भी भिण्ड जिले के 2 युवाओं ने सफलता का परचम लहराया है । इनमें से एक हैं भिण्ड जिले के गोहद तहसील के ग्राम गुरीखा निवासी महिपाल सिंह गुर्जर और दूसरे हैं रौन विकासखंड के ग्राम बघेली बहादुरपुरा के निवासी अरुण सिंह तोमर। महिपाल सिंह गुर्जर को 533वीं रैंक हासिल हुई है जबकि अरुण सिंह तोमर को 723वीं।

पहले बात करते हैं महिपाल सिंह गुर्जर की । इनके पिता लाखन सिंह एक सामान्य किसान है । महिपाल सिंह दो भाई हैं। उन्होंने जेनेटिक्स एवं प्लांट ब्रीडिंग में एमएससी की हुई है। स्कूली शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल और बाद में ग्वालियर के मुरार स्थित शासकीय एक्सीलेन्स हायर सेकेंडरी स्कूल में हुई। बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री उन्होंने केरल के तिरुअनंतपुरम स्थित कृषि महाविद्यालय से और एमएससी एग्रीकल्चर की डिग्री दिल्ली के पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से प्राप्त की है।

2018 में एमएससी करने के बाद से वह घर पर ही सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे, जिसमें उन्हें 2019 की परीक्षा में सफलता प्राप्त हुई है । महिपाल सिंह कहते हैं, कोई भी लक्ष्य अभेद्य नहीं होता। बस उसे प्राप्त करने का जुनून होना चाहिए। सिविल सर्विस परीक्षा के लिए उन्हें किसी कोचिंग की जरूरत नहीं पड़ी। यही संदेश वह इस परीक्षा की तैयारी में जुटे युवाओं को देते हुए कहते हैं कि वह भी इंटरनेट पर उपलब्ध परीक्षा सामग्री और अन्य संसाधनों का उपयोग करते हुए आगे बढ़ सकते हैं।

अब बात अरुण सिंह तोमर की । वह भिण्ड जिले के बहादुरपुरा विकासखंड रौन के रहने वाले है। परिवार भिण्ड शहर के महावीर गंज में भी रहता है । पिता लक्ष्मण सिंह तोमर किसानी करते थे जो अब सन्यासी हो गए हैं। एक बड़े भाई मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी में नौकरी करते हैं जिन्होंने अरुण सिंह को इस परीक्षा की तैयारी के लिए काफी प्रोत्साहित किया। अरुण सिंह तोमर की प्राइमरी शिक्षा गांव के शासकीय स्कूल में हुई। मुन्ना लाल अग्रवाल स्कूल भिण्ड से हायर सेकेंडरी परीक्षा पास की। तत्पश्चात इंदौर से बीटेक किया । रुड़की आईआईटी से एमटेक किया । यही पढ़ते हुए उन्होंने सिविल सेवा में जाने का मन बनाया। उन्होंने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी । एक साल दिल्ली में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की कोचिंग ली और तीसरी बार में इस परीक्षा को फतेह करने में कामयाबी हासिल की ।

अरुण सिंह तोमर ने बताया कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए मैंने तो कोचिंग भी की थी लेकिन कोचिंग कोई बहुत जरूरी नहीं है । हां इससे परीक्षा की तैयारी करने में सहायता जरूर मिलती है। इस परीक्षा में सफलता का मंत्र वह एक ही बताते हैं- लक्ष्य का निर्धारण फिर पूरे आत्मबल और एकाग्रता के साथ उसको प्राप्त करने की ललक । अरुण सिंह के अनुसार उनकी हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई पर इससे उन्हें न तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने में और नहीं सिविल सर्विस की तैयारी और फिर परीक्षा देने में कोई दिक्कत आई । अरुण सिंह स्वामी विवेकानंद के इस वाक्य को आदर्श मानते हैं जिसमें उन्होंन खास तौर पर युवाओं से कहा था कि लक्ष्य बनाओ और तब तक आगे बढ़ते रहो जब तक कि वह हासिल नहीं हो जाए।

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