हरदा। मध्यप्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री एवं वर्तमान भाजपा विधायक कमल पटेल के बेटे और खिरकिया जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष सुदीप पटेल निवासी बारंगा को एक साल के लिए जिला बदर कर दिया है। विभिन्न आपराधिक मामले दर्ज होने के चलते कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी एस. विश्वनाथन ने गुरुवार को सुदीप को एक साल के लिए जिला बदर करने के आदेश जारी किए। सुदीप के खिलाफ जिले के विभिन्न थानों में अलग-अलग धाराओं में 15 केस दर्ज हैं। कलेक्टर की इस कार्रवाई के बाद सर्द बयार के बीच राजनीतिक गरमाहट बढ गई है।

हरदा जिले के खिरकिया के वर्तमान भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री कमल पटेल के बेटे सुदीप पटेल खिरकिया जनपद में उपाध्यक्ष हैं। वर्ष 2008 से अभी तक उसके खिलाफ जिले के हरदा, हंडिया, छीपाबड और सिविल लाइन थाने में विभिन्न धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।
बीते साल अप्रैल में असंगठित कामगार मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष एवं एडवोकेट सुखराम बामने को कर्जमाफी से जुडी सोशल मीडिया पर लिखी एक पोस्ट से नाराज होकर सुदीप पटेल ने बामने को जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज हुआ। इसके बाद से ही पुलिस और प्रशासन कार्रवाई के मूड में था।
प्रशासन के पास पुराने आपराधिक मामलों के रिकॉर्ड को लेकर समय-समय पर जिला बदर की कार्रवाई करने इस्तगासा पेश किए। जिन पर सुनवाई के बाद गुरुवार को कलेक्टर एस. विश्वनाथन ने सुदीप को जिलाबदर करने के आदेश जारी किए। कलेक्टर ने बताया कि आरोपी सुदीप को एक साल के लिए जिलाबदर किया है। इस दौरान हरदा, सीहोर, बैतूल, खंडवा, देवास व होशंगाबाद की सीमा से बाहर रहने के आदेश दिए हैं।
मई 2017 में तत्कालीन कलेक्टर श्रीकांत बनोठ ने भी सुदीप पटेल को जिलाबदर करने के आदेश जारी किए थे। कमल पटेल पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके थे, तब भी उन्होंने आला नेताओं से बोलकर बनोठ का ट्रांसफर करा दिया था। उनकी जगह तरुण राठी के आदेश हुए। मामला आईएएस एसोसिएशन तक पहुंचा। इतने ज्यादा राजनीतिक हस्तक्षेप से नाराज एसोसिएशन ने अपनी बात से सीएम व गृहमंत्री को अवगत कराया। नतीजा यह हुआ कि 24 घंटे में ही बनोठ के ट्रांसफर आदेश निरस्त हुए। इसके करीब ढ़ाई माह बाद उनका ट्रांसफर हुआ। कलेक्टर के आदेश के खिलाफ कमल पटेल ने कमिश्नर कोर्ट में अपील की थी।

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