ग्वालियर। भिण्ड-दतिया लोकसभा क्षेत्र में दलित बनाम सवर्ण जिस अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के कारण पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सवर्णों की नाराजगी झेलनी पडी थी, उसका असर आज भी भिण्ड लोकसभा सीट पर दिख रहा है। लेकिन, इस बार उस एक्ट की तपिश कांग्रेस की ओर ज्यादा है। यहां स्टार प्रचारक, रैली, सभा और जुलूस से ज्यादा असर सोशल मीडिया के प्रचार और दुष्प्रचार का है, जिसके कारण सवर्ण जातियों का बडा तबका यह मानकर बैठा है कि 2 अप्रैल 2018 को ग्वालियर-चंबल में हुई दलित हिंसा के लिए कांग्रेस उम्मीदवार देवाशीष जरारिया का हाथ था।
दूसरी तरफ, भाजपा की संध्या राय काफी खामोशी से स्थानीय पार्टी नेताओं को साथ लेकर अपना प्रचार कर रही है। भिण्ड और दतिया की 8 विस सीटों में से 5 कांग्रेस के पास हैं। एक बसपा और दो भाजपा के पास है।
तीन बार जीती कांग्रेस भिण्ड से अभी पूर्व आईएएस डॉ. भागीरथ प्रसाद यहां के सांसद भाजपा सांसद हैं। उत्तरप्रदेश के इटावा से लगे इस संसदीय क्षेत्र में बहुजन समाज वादी पार्टी का भी काफी प्रभाव है। बीते आठ चुनाव से भाजपा यहां काबिज है तो कांग्रेस को सिर्फ तीन चुनाव में ही यहां से सफलता मिली। 1962 में भिण्ड संसदीय क्षेत्र अस्तीत्व में आया और अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गया। पहले चुनाव में कांग्रेस के सूरज प्रसाद ने जीत हासिल की। 1967 में चुनाव से पहले हुए परिसीमन में ये क्षेत्र सामान्य हो गया। इसी साल हुए चुनाव में जनसंघ के वाईएस कुशवाहा ने यहां से चुनाव जीते।
1971 में हुए चुनाव में राजमाता विजियाराते सिंधिया यहां से जनसंध के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ी और उन्होंने कांग्रेस के नरसिंह राव दीक्षित को शिकस्त दी। 1980 में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण शर्मा चुनाव जीते। 1984 में भाजपा ने ग्वालियर की राजकुमारी वसुंधरा राजे सिंधिया मैदान में उतारा और वह कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह जूदेव से हार गईं। 1989 में कांग्रेस के दिग्गज नेता नरसिंह राव दीक्षित कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। 1991 में भाजपा ने योगानंद सारस्वती को टिकट दिया। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार कांग्रेस प्रत्याशी उदयन शर्मा को शिकस्त दी। 1996 में भाजपा ने रामलखन सिंह को टिकट दिया। वे जीते और उन्होंने 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2009 में हुए परिसीमन में ये संसदीय क्षेत्र एक बार फिर अनुसूचित जाति के आरक्षित हो गया। इसी साल हुए चुनाव में भाजपा के अशोक अर्गल ने जीत हासिल की। उन्होंने तब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े डॉ. भागीरथ प्रसाद को हराया। 2014 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ चुके डॉ. भागीरथ प्रसाद को उतारा और वह चुनाव जीते । उन्होंने कांग्रेस की इमरती देवी को हराया। भिण्ड लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। यहां पर अटेर, भिण्ड, लहार, मेहगांव, गोहद, सेवढ़ा, भाण्डेर, दतिया विधानसभा सीटें हैं। इन 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस, 2 पर बीजेपी और 1 पर बसपा का कब्जा है।
भिण्ड-दतिया संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की कमान प्रदेश के कैविनेट मंत्री डॉं. गोविन्द सिंह सम्हाले है तो भाजपा की कमान भिण्ड जिले के अटेर से भाजपा विधायक अरविन्द भदौरिया के हाथ में है। कल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आमसभा में किसानों की बात की और कांग्रेस के विधायकों से एक-एक कर वात कर कहा कि भाजपा के गढ को इस बार मिलकर भेदना है। राहुल गांधी की सभा के बाद क्षेत्र के हालात बदले है। सात बार लगातार चुनाव जीत कर एक रिकार्ड बना चुके डॉं. गोविन्द सिंह रैली, आमसभा पर विश्वास नहीं करते। वह गांव-गांव जाकर बैठकें लेकर चुनाव जीतने और जीताने में माहिर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *