नई दिल्ली !   भारतीय जनता पार्टी की गोवा में आठ जून से होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर छिड़ी बहस तेज होने के पूरे आसार है और इस बार गुजरात के तेज तर्रार मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए मध्यप्रदेश के उदारवादी छवि वाले मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान चुनौती बनकर उभर सकते हैं ।
राजनाथ सिंह के दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा की नवगठित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पहली बैठक गोवा में आठ और नौ जून में होनी है । एक ओर जहां इस बैठक में नकसली हिंसा, भ्रष्टाचार घोटालों और महंगाई के मुद्दे पर केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्ववाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को नए सिरे से घेरने की रणनीति बनाने की तैयारी चल रही हे वहीं वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने श्री मोदी और श्री चौहान की तुलना करके नई बहस छेड़ दी है ।
भाजपा सूत्रों ने माना है कि इस बैठक में इसी साल होने वाले छह विधानसभा चुनावों के अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी पर भी निर्णायक बहस होगी। जब लोकसभा चुनावों की रणनीति पर चर्चा होगी तो लाजिमी है कि प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार कौन हो यह सवाल जरुर उठेंगे। ऐसे में श्री अडवानी ने कल श्री मोदी के साथ तुलना करते हुए श्री चौहान की तारीफों के जो पुल बांधे हैं उससे इस पर पार्टी में मतभिन्नता खुलकर सामने आ सकती है । श्री अडवानी ने दोनों मुख्यमंत्रियों की तुलना करते हुए यहां तक कहा है कि गुजरात तो पहले से स्वस्थ था और श्री मोदी ने उत्कृष्ट बना दिया लेकिन श्री चौहान की उपलब्धि इस मायने में सराहनीय है कि उन्होंने मध्यप्रदेश जैसे बीमारु राज्य को विकसित राज्यों की कतार में ला दिया। यही नहीं श्री चौहान द्वारा शुरु की गई जनकल्याण योजनाओं का अब दूसरे राज्य अनुसरण कर रहे हैं। श्री अडवानी का कद भाजपा में इतना बड़ा है कि उनकी कथनी और करनी को फिलहाल चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। मोदी बनाम शिवराज की नई बहस की शुरुआत श्री अडवानी के बयान से शुरु हुई है और पार्टी में हर कोई इस पर दो टूक राय देने से हिचकिचा रहा है। श्री चौहान की कार्यशैली लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज भी बहुत पसंद करती हैं और राज्य में विदिशा लोकसभा सीट से भारी मतों से पिछली बार चुनाव जीतने के बाद से मध्यप्रदेश उनका पसंदीदा राज्य बन गया है। बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में श्रीमती स्वराज ने श्री मोदी के वहां पर प्रचार करने की जरुरत नहीं बताई थी और इसके बाद दोनों नेताओं के बीच छिड़ा शीत युध्द अभी तक थमा नहीं है । श्री अडवानी के ताजा बयान ने श्री मोदी के साथ श्री चौहान को  राजनाथ सिंह, श्रीमती सुषमा स्वराज और अरुण जेटली की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी रेस में आगे कर दिया है। खुद भाजपा के कई नेताओं ने बताया, कि श्री चौहान के नाम पर कोई विवाद नहीं है। एक नेता ने तो कहा कि श्री चौहान लंबी रेस का घोड़ा साबित हो सकते हैं। क्योंकि लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिलने की स्थिति राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बाकी सहयोगी श्री मोदी के बजाय श्री चौहान के नाम पर आसानी से राजी हो सकते हैं । भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आशंका जताई कि मोदी बनाम शिवराज का मुद्दा कहीं गोवा बैठक के बाकी मुद्दों पर ग्रहण न लगा दे । एक अन्य नेता ने कहा कि इस मुद्दे पर जितनी जल्दी विराम लगा दिया जाय तो बेहतर होगा।

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