इंदौर। बॉम्बे अस्पताल की पहली मंजिल पर महाराज की पत्नी डॉ. आयुषी फर्श पर बैठी महाराज के भक्तों से घिरी थीं। बदहवास हालत में वे बहकी-बहकी बातें कर रही थीं। उनके आंसू भी नहीं निकले थे। वे बार-बार कह रही थीं कि वे चले जाएंगे तो मैं भी उनके साथ चली जाऊंगी। उन्होंने समाज से लड़कर मुझसे शादी की थी, वे मुझे ऐसा छोड़कर क्यों जाएंगे।
डॉ. आयुषी एक ही रट लगा रही थीं कि वे ऐसा नहीं कर सकते। वे इतने कमजोर नहीं कि खुद को गोली मार दें। आत्महत्या का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। मैं उनके बगैर कैसे जीऊंगी। मेरी जिंदगी कैसे चलेगी। बदहवास डॉ.आयुषी अस्पताल में मौजूद महाराज के भक्तों से कह रही थीं कि अब तुम आश्रम आकर क्या करोगे। कौन तुम्हें पुकारेगा।
अस्पताल में मौजूद सेवादारों ने बताया कि महाराज कुछ समय से अवसाद में थे। उन्हें देखकर ही लगता था कि उनके दिमाग में कुछ उथल-पुथल चल रही है लेकिन वे खुद को सामान्य रखने का प्रयास करते रहे। हमेशा आशंका रहती थी कि वे कोई कदम न उठा लें। इसी आशंका के चलते हमने पिस्टल भी छुपाकर रख दी थी।
2 बजकर 6 मिनट पर पहुंचे
बॉम्बे अस्पताल प्रबंधक राहुल पाराशर ने बताया कि महाराज को दोपहर 2 बजकर 06 मिनट पर अस्पताल लाया गया था। अस्पताल पहुंचने के पहले ही महाराज की मौत हो चुकी थी। बाद में करीब साढ़े तीन बजे शव को पोस्टमार्टम के लिए एमवाय अस्पताल रवाना कर दिया गया। वहां तीन डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया।
3.05 बजे पहुंची बेटी
भय्यू महाराज की बेटी कुहू दोपहर करीब 3.05 बजे बॉम्बे हॉस्पिटल पहुंची। वह दोपहर दो बजे ही पुणे से लौटी थी। महाराज पढ़ाई के सिलसिले में उसे अमेरिका लेकर जाने वाले थे।