ग्वालियर। कथा व्यास श्री श्री 1008 कागशिला पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर महंत वैष्णवी सुश्री प्रज्ञा भारती ने श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कहा कि श्रीराम चरित मानस जीवन को सही मार्ग पर जीना एवं भगवान की भक्ति से दूसरो का सही मार्ग प्रशस्त करना सिखाता है।
फूलबाग मैदान पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ होने से पहले वेद व्यास पीठ एवं सुश्री प्रज्ञा भारती एवं मुख्य अतिथि परमपूज्य श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर रावतपुरा सरकार रविशंकर महाराज एवं उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने पूजन ने पूजन किया। साथ ही आरती कथा के मुख्य संरक्षक वृन्दावन सिंह सिकरवार, संरक्षक एवं स्वागताध्यक्ष डाॅ. सतीष सिंह सिकरवार एवं संयोजक पं. विजय कब्जू ने की। स्वागत संचालन डाॅ. राम पाण्डे व सुनील जैन ने किया।
सुश्री प्रज्ञा भारती ने कथा का रस पान कराते हुए भगवान नरसिंह के अवतार का संुदर वर्णन करते हुए कहा कि जगत् के कल्याण के लिए ही प्रहलाद जैसे भक्तों का जन्म होता हैं। जब उनकी भक्ति से प्रभावित होकर भगवान को ही अवतार लेना पड़ता हैं और हिरण्यकश्यप जैसे अत्याचारी से इस धरा को मुक्त कराया था। धु्रव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि जिस प्रकार धु्रव ने दृढ़ निश्चय कर तपस्या की उस तपस्या का प्रभाव ऐसा रहा कि उनके तप का तेज तीनो लोकों में फैलनें लगा और उनके मंत्रोच्चारण ऊॅं नमोंः वासुदेवाय की गंूज वैकुण्ठ लोक में भगवान नारायण के पास भी गंूजी जिससे नारायण अपनी निद्रा से जागकर एवं तप से खुष होकर उन्हें वरदान देने आये। जीवन का सारांश यही है कि कठोर परिश्रम से आप जो भी चाहो प्राप्त कर सकते हो।