कई फिल्मकार ऐसा मानते हैं कि फिल्में समाज का आईना होती हैं. कुछ लोग ये कहते हैं कि फिल्मों को देख कर ही समाज प्रभावित होता है. सच क्या है?
भारत में लगातार औरतों के प्रति बढ़ रहे अपराधों के लिए भी कई लोग हिंदी फिल्मों को ही ज़िम्मेदार मानते हैं

कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि आजकल के फिल्मी गानों या ‘आइटम नंबर’ में हीरोइन को एक भोग विलास की वस्तु की तरह प्रस्तुत किया जाता है. इसी कारण महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं.
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा इस बात को सिरे से ही नकार रही हैं. प्रियंका कहती हैं, ”मैं कड़े शब्दों में इस बात का विरोध करना चाहती हूं. मुझे लगता है कि बॉलीवुड की फिल्मों और गानों पर ऊंगली उठाने से अच्छा है कि भारत की कानून व्यवस्था को कड़ा और दुरुस्त किया जाए ताकि औरतों के प्रति हो रहे अपराधों में कमी आए.”
अपनी बात को पूरा करते हुए प्रियंका कहती हैं, ”हम एक लोकतंत्र में रहते हैं. हमें अपने हिसाब से जीने का हक है. ज़रूरत बेवजह बॉलीवुड पर निशाना साधने की नहीं बल्कि कानून व्यवस्था ठीक करने की है ताकि भारत में औरतें सुरक्षित महसूस कर सकें.”

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