मुलताई ! दस दिन पहले पिता की मृत्यु के बाद उनकी चिता को मुखाग्नि देने के बाद बुधवार को एक बेटी ने बेटे के भी सभी फर्ज निभाएं। अपने पिता का पिंडदान करने के साथ-साथ उसने वह सभी रस्में निभाई, जिसे एक बेटा ही निभाता है। सामाजिक किवदंतियों को तोड़ते हुए बैतूल निवासी स्मृति ने यह सब इसलिए किया, क्योंकि उसके पिता उसे ही अपना बेटा मानते थे और हमेशा कहते थे कि स्मृति मेरे बेटे से कम नहीं।
इसलिए स्मृति ने भी सभी को यह जता दिया कि वह अपने पापा का सबसे प्यारा बेटा है। बैतूल निवासी 63 वर्षीय नारायण वर्मा का दस दिन पहले हृदयघात से निधन हो गया था। नारायण वर्मा का कोई बेटा नहीं था, उनकी एक ही बेटी स्मृति थी। बुधवार को स्मृति ने ताप्ती तट पर अपने पिता का दसवां किया और फिर पिंडदान भी संपन्न किया। पंडित राम जोशी ने स्मृति के हस्ते दसवे और पिंडदान की प्रक्रिया संपन्न करवाई। स्मृति के परिजनों ने बताया कि दिवगंत नारायण वर्मा के लिए स्मृति ही उनका बेटा था, वे सदा कहते थे कि आजकल बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं है। बेटा जो करता है, वह सभी काम बेटिया भी कर सकती है। आखिरकार स्मृति ने अपने पापा की कही प्रत्येक बात को सच साबित किया और पिंडदान सहित दसवे की वह प्रक्रिय को पूरा किया। उनके साथ उनकी मां पुष्पा वर्मा एवं परिजन एमके वर्मा सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।