बीना (सागर)। चार माह की बेटी को जहर पिलाकर खुद जहर पीकर आत्महत्या करने वाली एक महिला के मामले में मोहासा गांव के लोगों ने निर्णय लिया है कि खुदकुशी करने वाली महिला के परिवार में जब तक बेटी की शादी नहीं होगी, तब तक पूरे गांव में शहनाई नहीं बजेगी। इस निर्णय के पीछे ग्रामीण अपशगुन मान रहे हैं।

पिछले माह 29 जनवरी को बीना थाना क्षेत्र के मोहासा गांव के भगवानदास पाल की पत्नी पूजा (20) ने अपनी चार माह की बेटी को जहर पिलाकर खुद जहर पी लिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी। तेरहवीं के बाद गांव में सभी समाज के मुखियाओं की पंचायत बुलाई गई, जिसमें बच्ची की मौत के लिए उसकी मां यानी खुदकुशी करने वाली पूजा को जिम्मेदार बताया गया। ग्रामीणों ने अपशगुन मानकर गांव में शुभ कार्यों पर रोक लगा दी है। उन्होंने निर्णय लिया है कि जब तक गांव में उसी परिवार की किसी लड़की की शादी नहीं होगी, तब तक गांव में शहनाई नहीं बजेगी।

ग्रामीणों के मुताबिक गांव में ऐसी प्रथा है कि गांव का कोई भी व्यक्ति हत्या जैसा जघन्य पाप करता है तो उस परिवार को कलंक लग जाता है। पूरे गांव के लिए इसे अशुभ माना जाता है। वह परिवार गंगा स्नान करके जब तक कन्या और ब्राह्मण भोज नहीं कराता उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। साथ ही परक (कलंक) जब तक माना जाता है, जब तक अपराध करने वाले के घर या परिवार में बेटी की शादी न हो।

इसी प्रथा को बरकरार रखते हुए हाल ही में पंचायत ने यह फरमान सुनाया है। हालांकि पंचायत ने इस घटना के लिए भगवानदास के परिवार को दोषी नहीं ठहराया है। गांव में आयोजित हुई पंचायत में यही माना कि बच्ची अबोध थी। इसकी मौत का कारण बच्ची की मां है। गंगा स्नान करने और कन्याओं को भोजन कराने के बाद परिवार को समाज में तो मिला लिया गया, लेकिन गांव में शादी-विवाह पर रोक लगी हुई है।

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