पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाले बुराड़ी कांड के रहस्य तक अब तक पुलिस भी नहीं पहुंच पाई है. एक ही परिवार के 11 सदस्यों की एक ही रात में अचानक हुई मौत को लेकर जांच में अब तक कई हैरान कर देने वाली बातें सामने आई हैं. घटना के तीन दिन बाद चित्तौड़गढ़ में रहने वाले तीसरे भाई दिनेश सामने आए हैं. हालांकि उन्होंने मौतों के पीछे तंत्र-मंत्र और धर्मांधता या किसी तांत्रिक की बात होने से इनकार किया है.

दिनेश ने घर से बाहर निकले उन 11 पाइपों का रहस्य भी बताया. दिनेश का कहना है कि पाइप से मोक्ष मिलने वाली बात बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि दरअसल उनके भाई का प्लाईउड का काम था, इस वजह से काफी काफी गैस बनती थी और इन 11 पाइपों को इसीलिए लगवाया गया था ताकि गैस निकलती रहे.

उनका साफ-साफ कहना है, ‘क्राइम ब्रांच जो बातें कर रही है वो बिल्कुल गलत हैं. हमारा परिवार धार्मिक परिवार था. इस तरह की कोई बात नहीं थी. हम पूरी तरह से इस बात का खंडन करते हैं. पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है. हमें नहीं पता कि रजिस्टर की क्या बात है. यह आत्महत्या का मामला नहीं है हत्या का मामला है.’

वहीं दिनेश की बहन सुजाता का कहना है कि उनका परिवार धार्मिक है, लेकिन अंधविश्वासी कतई नहीं था. सुजाता ने मौतों के पीछे तंत्र-मंत्र या तांत्रिक विद्या से पूरी तरह इनकार किया है और कहा है कि उनके परिवार ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उनकी हत्या की गई है.

घर से बाहर निकले 11 पाइपों के बारे में सुजाता का कहना है कि ये पाइप वेंटिलेशन और एक सोलर प्रोजेक्ट के लिए लगाए गए थे. कहीं न कहीं कुछ साजिश है.

11 पाइपों से किस तरह जुड़ा है 11 मौतों का रहस्य!

बता दें कि बुराड़ी के संत नगर में पीड़ित परिवार के घर के बाहर कुल 11 पाइप निकले हुए हैं. पुलिस सूत्रों का कहना है कि 11 पाइपों में 7 पाइपों के मुंह ऊपर की ओर हैं, जबकि 4 पाइपों के मुंह सीधे हैं. बता दें कि मरने वालों में 7 महिलाएं और 4 पुरुष सदस्य थे.

दरअसल, भाटिया परिवार के घर में लगे इन पाइपों को मौत से जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि घर में कुल 11 पाइप लगे हैं जो किसी इस्तेमाल के लिए नहीं लगाए गए हैं. पाइप को देखकर साफ होता है कि परिवार को अंधविश्वास जकड़ा हुआ था. क्योंकि घर में मरनेवालों की संख्या 11 है, और पाइप भी 11 लगे हैं. इसके अलावा मरने वालों में 7 महिलाएं और 4 पुरुष हैं. जबकि घर की दीवार में लगे 11 पाइपों में से 7 मुड़े हैं और 4 सीधे हैं.

छोटे भाई ललित के वश में था पूरा परिवार
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ललित के बताए अनुसार ही शनिवार देर रात घर के सभी सदस्यों ने पहले पूजा अनुष्ठान किया था. दरअसल पिता की मौत के बाद उसका दावा था कि पिता उसे दिखाई देते हैं. दरअसल इस पूरे पूजा-अनुष्ठान की बातें ललित को उसके पिता ने सपने में ही बताई थीं और मोक्ष हासिल करने के लिए कहा था.

पुलिस सूत्रों का कहना है कि घर के अंदर बने मंदिर के पास मिले दोनों रजिस्टर में जो तंत्र-मंत्र, मोक्ष और धार्मिक अनुष्ठान की बातें लिखी हैं, वे ललित की हैंडराइटिंग में ही हैं. पुलिस के मुताबिक, ललित का कहना है कि उसके मृत पिता उसके सपने में आते हैं और उन्हीं की बातें उसने रजिस्टर में लिखी हैं.

मोक्ष पाना चाहता था परिवार, बचने का था भरोसा

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को पहले तो लग रहा था कि पूरे परिवार ने धर्मांधता के जाल में फंसकर तंत्र-मंत्र और धार्मिक अनुष्ठान के जरिए मोक्ष पाने के लिए सामूहिक रूप से खुदकुशी कर ली. लेकिन अब ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि परिवार का कोई भी सदस्य मरना नहीं चाहता था, बल्कि सिर्फ मोक्ष पाना चाहता था.

पुलिस सूत्रों से मिली अहम जानकारी के मुताबिक, रजिस्टर में लिखी बातों और मौका-ए-वारदात से ये पता चलता है कि दरअसल पूरा परिवार एक अनुष्ठान कर रहा था. हाथ और मुंह पर पट्टी बांधकर लटकना इसी अनुष्ठान का अंतिम चरण था और परिवार को शायद यह विश्वास था कि वो बच जाएंगे.

सभी से कहा गया था कि वट पूजा से भगवान के दर्शन होते हैं. बरगद की तरह लटककर पूजा करने से किसी की जान नहीं जाएगी. भगवान किसी को मरने नहीं देंगे. ललित का कहना था कि उसके पिता सपने में उसे यहां तक बताते थे कि घर और कारोबार के संबंध में क्या करना है और कहां पैसा लगाना है.

रजिस्टर में लिखा था ‘मरोगे नहीं, कुछ बड़ा हासिल करोगे’

पुलिस ने बताया कि रजिस्टर में ललित ने लिखा था, ‘पिताजी ने कहा है कि आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी. लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज कर देना, मैं तुम्हें बचा लूंगा . जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना. तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे.’
पुलिस का कहना है कि ललित के कहने पर ही शनिवार की रात पूरे परिवार ने पूजा अनुष्ठान किया था. घर में हवन किया गया था और एक बोतल में पानी भी भर कर रखा हुआ था. रजिस्टर में ये भी लिखा हुआ था कि हाथ की पट्टी बच जाए तो मुंह पर डबल कर लेना. सूत्रों का कहना है कि सिर्फ ललित और उसकी पत्नी टीना के हाथ नहीं बंधे हुए थे.

रजिस्टर में ‘वट सावित्री पूजा’ का भी जिक्र है. दरअसल वट सावित्री पूजा पूर्णिमा के दौरान की जाती है और जिस रात परिवार वालों की मौत हुई, यानी 27-28 जून की रात भी पूर्णिमा ही थी. हालांकि मान्यता ये है कि वट सावित्री की पूजा पत्नियां पति की लम्बी उम्र के लिए करती हैं.

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