भोपाल। मध्य प्रदेश के दमोह में पुलिस आरक्षक श्रीराम जारोलिया की 14 वर्षीय बेटी राधिका की मौत हो गई। उसे खांसी-जुकाम हुआ था। यह लक्षण कोरोनावायरस संक्रमण के हैं। अस्पताल में डॉक्टरों ने ना तो उसे आइसोलेशन वार्ड में दाखिल किया और ना ही घर पर क्वॉरेंटाइन के लिए बोला, आरक्षक ने बीमार बेटी की देखभाल के लिए छुट्टी मांगी लेकिन नहीं दी गई। आरक्षक चाहता था कि उसकी ड्यूटी शहरी इलाके में लगा दी जाए ताकि बीमार बेटी की देखभाल कर सकें लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया। उल्टा रक्षक की ड्यूटी शहर के बाहर सीमा पर लगा दी गई। आज उसकी बेटी ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
पुलिस लाइन निवासी आरक्षक श्रीराम जारोलिया की 14 वर्षीय बेटी राधिका को रविवार सुबह आरक्षक की पत्नी शीला और बेटा हिमांशु जिला अस्पताल लेकर आया, यहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। आरक्षक ने बताया कि उसकी बेटी को 15-20 दिन पहले सर्दी जुकाम था, जिसका इलाज कराकर दवा ली थी तो ठीक हो गई थी। उस समय भी मुझे छुट्टी नहीं मिली थी, एक बार फिर बेटी की तबियत बिगड़ी थी तो अधिकारियों से शहर में ड्यूटी लगाने के लिए बोला था, लेकिन न तो छुट्टी मिली, न ही ड्यूटी शहर में लगाई गई। यदि शहर में ड्यूटी लगाई जाती तो मैं अपने परिवार का ख्याल रख पाता, लेकिन आज भी मेरी ड्यूटी गढ़ाकोटा सीमा पर लगाई गई थी। शुक्रवार सुबह बेटी की तबीयत फिर बिगड़ गई लेकिन ड्यूटी से टाइम न मिलने के कारण उसका ठीक से इलाज भी नहीं करा पाया।
सूचना मिली कि बेटी को लेकर पत्नी और बच्चे अस्पताल गए हैं, तो मैं जिला अस्पताल पहुंचा, तब तक उसने दम तोड़ दिया। वहीं, बहन की मौत होने पर भाई हिमांशु की भी तबीयत बिगड़ गई। राधिका दूसरे नंबर की बेटी थी, उससे छोटी एक और बेटी है। आरक्षक ने कहा कि इसके पहले मेरी तबीयत बिगड़ी थी, उस समय छुट्टी मांगी थी। बेटी की तबीयत बिगड़ने पर छुट्टी मांगी थी। आरआई अपने कार्यालय में नहीं बैठते हैं और मनमानी करते हैं। एएसपी और एसपी से बात की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।