भोपाल। लगभग दो लाख करोड़ के कर्ज में डूबी मध्यप्रदेश सरकार ने लगभग एक हजार करोड रुपए का कर्ज और ले लिया है। यह कर्ज मध्यप्रदेश में बिजली चोरी रोकने के लिए लिया गया है। इन पैसों से मध्यप्रदेश सरकार स्मार्ट मीटर खरीदेगी और सभी ग्राहकों के यहां लगाएगी। बिजली चोरी रुकेगी या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि इस 100000 करोड रुपए के कर्ज और इसका ब्याज चुकाने के लिए सरकार या तो बिजली की कीमत बढ़ाएगी या फिर दूसरे तरह के टैक्स बढ़ाकर वसूली करेगी। कुल मिलाकर भुगतान जनता को ही करना है।
बिजली कंपनी के अफसरों ने मध्यप्रदेश में बिजली चोरी रोकने के लिए सरकार को स्मार्ट मीटर लगाने का सुझाव दिया है। अधिकारियों का दावा है की स्मार्ट मीटर लगाने के बाद बिजली चोरी पूरी तरह से रुक जाएगी। स्मार्ट मीटर काफी महंगे हैं और इनका मेंटेनेंस भी काफी अधिक होता है। इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। लोग इतनी बड़ी रकम सुनकर चौक न जाएं इसलिए चतुर अधिकारियों ने लोन की रकम 1200 करोड यूरो बताई है। आम जनता की जानकारी के लिए बता दें कि इन दिनों भारत में एक ही यूरो की कीमत करीब 80 रुपए है। इस तरह बारह सौ करोड़ यूरो की भारत में कीमत करीब 100000 करोड़ रुपए होगी।
सरकार ने यह लोन जर्मन बैंक से लिया है जिस पर ब्याज भी अदा किया जाएगा। जिसके बाद करीब 3.07 लाख उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे। जो 24 घंटे बिजली कंपनी के रडार पर होंगे। मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटर योजना को क्रियान्वयन का काम पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को मिला है। कंपनी अपने स्तर पर इसकी प्लानिंग कर चुकी है। तीनों कंपनी के साथ समन्वय के बाद योजना बनाई गई है। लाइन लॉस वाले इलाकों पर स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी है ताकि बिजली चोरों पर निगरानी की जा सके।
स्मार्ट मीटर का पूरा कंट्रोल सेंट्रलाइज्ड होगा। कंपनी के अफसर दफ्तर में बैठे-बैठे हर समय उपभोक्ता के घर के मीटर का डाटा पढ पाएंगे। इसमें बिजली की खपत हो रही है और लोड व किस वक्त कितने लोड पर मीटर चल रहा है इसकी जानकारी कंपनी के अधिकारी कार्यालय में बैठे-बैठे ऑनलाइन देख सकेंगे। उपभोक्ता के बिल नहीं जमा करने पर घर जाकर लाइन काटना नहीं पडेगा दफ्तर से ही जब चाहे अफसर बिजली बंद और चालू कर पाएंगे।
मीटर का पूरा हिसाब किताब कम्प्यूटर पर ऑनलाइन दिखाई देगा। प्री-पेड भुगतान का फार्मूला भी स्मार्ट मीटर में होगा। यानि मोबाइल रिचार्ज की तरह ही उपभोक्ता एडवांस राशि देकर बिजली का उपयोग कर पाएंगे। जितनी राशि से मीटर रिचार्ज होने के बाद खुद ही सप्लाई बंद हो जाएगी।
स्मार्ट मीटर को लगाने के लिए वितरण कंपनियों ने फीडर का चयन किया है। जबलपुर में नगर संभाग पूर्व को चुना गया है। इस इलाके में सबसे ज्यादा बिजली चोरी होती है। बिल वसूली भी परेशानी भरी होती है ऐसे में कंपनी इन क्षेत्रों के फीडर पर स्मार्ट मीटर लगाकर लाइन लॉस को कम करने की कोशिश करेंगी। पूरे प्रदेश में 3.07 लाख स्मार्ट मीटर पहले चरण में लगाए जाएंगे।
पूर्व क्षेत्र विघुत कंपनी के सीजीएम एनके जैन ने बताया कि स्मार्ट मीटर को लेकर कंपनी स्तर पर तैयारी की जा रही है। वित्तीय सहयोग से इस योजना को लागू कर लाइन लॉस कम करने का प्रयास होगा।