मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के बांद्राभान में फरवरी माह में नदी महोत्सव आयोजित किया जायेगा। इसमें नदी संरक्षण और पर्यावरण के लिये काम करने वाले अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पर्यावरणविद् तथा नदी सेवक शामिल होंगे। प्रदेश में नर्मदा नदी के तटों पर आयोजित होने वाले मेलों को व्यवस्थित स्वरूप दिया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ नर्मदा सेवा मिशन की समीक्षा बैठक ले रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव श्री बी.पी.सिंह भी उपस्थित थे। बैठक में बताया गया कि नर्मदा नदी में जल गुणवत्ता मापन के लिये 31 स्थानों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हर माह लिये जा रहे नमूनों में सभी स्थानों पर जल की गुणवत्ता ए-ग्रेड की मिली है। नर्मदा से रेत के अवैध उत्खनन को रोकने के लिये खनिज विभाग द्वारा नर्मदा तट के 16 जिलों में एक हजार 465 प्रकरण बनाये गये हैं तथा अवैध खनिज परिवहन करने वाले 76 वाहन राजसात किये गए हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में नर्मदा सेवा मिशन के तहत विभागवार किये गये कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि नर्मदा सेवा मिशन के तहत किये गये कार्यों की हर माह समीक्षा की जायेगी। मिशन के तहत नर्मदा तटों पर लगाये गये पौधों की देखरेख की और उन्हें बचाने की कार्य योजना बनायें। नर्मदा सेवा मिशन के तहत किये गये कार्यों और प्राप्त परिणामों की रिपोर्ट विधानसभा में रखी जायेगी। नर्मदा तट के गांवों को पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त करें। नर्मदा के तटों के घाटों पर पोर्टेबल चेंजिंग रूम बनाये जायें। नर्मदा तट के गांवों में नरवाई जलाने से रोकने के लिये जन-जागरण अभियान चलायें। इन गाँवों में नये किसानों को फलदार पौधों की खेती के लिये तैयार करें।

नर्मदा नदी के कैचमेंट क्षेत्र में बनेगी बड़े पैमाने पर तालाब जल संरचनायें

नर्मदा के तटों पर घाट निर्माण, जीर्णोद्धार और नर्मदा यात्री निवास बनाने की कार्य-योजना तेजी से क्रियान्वित करें। नर्मदा नदी के कैचमेंट क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तालाब जल संरचनायें बनायी जायें। इसके लिये नर्मदा घाटी विकास विभाग, वन विभाग और राजस्व विभाग कार्य योजना बनाए। नर्मदा नदी में प्रदूषण नहीं करने के लिये लोगों को जागरूक करें। नर्मदा नदी में गंदे नालों को मिलने से रोकने के लिये 18 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण का कार्य शीघ्र शुरू करें। नर्मदा नदी से उतनी ही रेत का वैज्ञानिक तरीके से उत्खनन हो जिससे पर्यावरण और नदी की पारिस्थितकी को नुकसान नहीं हो। नर्मदा तट के जिन किसानों ने अपने खेतों में फलदार पेड़ लगाये हैं, उन्हें मुआवजा राशि फरवरी माह में कार्यक्रम आयोजित कर दी जाये। नर्मदा तट की पंचायतों में खाद्य प्रसंस्करण की छोटी इकाईयाँ स्थापित करायी जायें।

712 नर्मदा सेवा समितियों का राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित होगा

श्री चौहान ने कहा कि आगामी 2 जुलाई को नर्मदा के तटों पर वृहद वृक्षारोपण की तैयारियाँ की जायें। इस वर्ष 12 करोड़ पौधे लगाये जायेंगे। नर्मदा तट की औद्योगिक इकाईयों से नर्मदा नदी में शून्य अपशिष्ट प्रवाहित हो। नर्मदा के तटों पर धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन विकसित किया जाये। इसके लिये पर्यटन विभाग पैकेज बनाये। नर्मदा तटों के गांवों में नशामुक्ति जागरण का अभियान लगातार चलता रहे। नर्मदा किनारे आयोजित होने वाले मेलों को चिन्हित कर इनके आयोजन को व्यवस्थित स्वरूप दिया जाये। नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान गठित 712 नर्मदा सेवा समितियों का राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया जाये। नर्मदा जयंती के पहले स्कूलों में नर्मदा संरक्षण पर केन्द्रित निबंध, चित्रकला और भजन प्रतियोगितायें आयोजित की जायें।

नर्मदा जल की गुणवत्ता ए-ग्रेड

बैठक में बताया गया कि नर्मदा नदी के जल की गुणवत्ता की जाँच हर माह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 31 स्थानों पर की जा रही है। जाँच में नर्मदा जल की गुणवत्ता ए-ग्रेड की मिली। नर्मदा जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा प्रति लीटर 6 मिलीग्राम और बी.ओ.डी. की मात्रा दो मिली ग्राम पायी गयी। नर्मदा किनारे स्थित सभी 11 उद्योगों में जल उपचार संयंत्र लगाये गये हैं। इसमें से 10 उद्योगों द्वारा नर्मदा में प्रदूषित जल प्रवाहित नहीं किया जाता है जबकि एक उद्योग द्वारा उपचारित जल छोड़ा जाता है। इस तरह नर्मदा नदी प्रदूषण से मुक्त है।

नर्मदा के तटों पर वृहद वृक्षारोपण के कार्यक्रम के तहत गत 2 जुलाई को एक दिन में एक लाख 30 हजार स्थानों पर 7 करोड़ 10 लाख पौधे लगाये गये हैं। इन पौधों की देखरेख के लिये पौध रक्षक नियुक्त किये गये हैं तथा गर्मी के मौसम में इन्हें बचाने के लिये मटका सिंचाई की योजना बनायी गयी है। नर्मदा के तटों पर अपने खेतों में फलदार पौधे लगाने वाले किसानों को ड्रिप इरिगेशन के लिये प्रेरित किया जायेगा। नर्मदा तट के सभी गांवों को आगामी 30 नवम्बर तक खुले शौच से मुक्त किया जायेगा। नर्मदा तटों के ग्रामों में विसर्जन कुण्ड और मुक्ति धाम और चेंजिंग रूम बनाये जा रहे हैं।

नर्मदा तट पर 190 घाट और 92 नर्मदा यात्री निवास बनेंगे

इन गांवों में जैविक खेती के लिये 16 हजार 480 एकड़ में 412 क्लस्टर स्वीकृत किये गये हैं। इन सभी गांवों में दो से चार नाडेप बनाये गये हैं। इनसे जुड़े पाँच हजार एक सौ किसानों को विविध खेती के लिये प्रशिक्षण दिया गया है। इन क्षेत्रों के एक हजार मछुआरों को नदी संरक्षण का प्रशिक्षण दिया गया है। नर्मदा नदी के तटों पर अगले पाँच सालों में 190 घाट और 92 नर्मदा यात्री निवास बनाये जायेंगे। नर्मदा के कैचमेंट क्षेत्र में इस वर्ष करीब डेढ़ हजार जल संरचनायें बनाई जायेंगी। नर्मदा तट के गांवों में 48 गौ शालायें स्वीकृत की गयी हैं। इन गांवों में दोना पत्तल निर्माण और मिट्टी के कुल्हण निर्माण के कुटीर उद्योग के प्रकरण स्वीकृत किये गये हैं।

16 हजार किसानों ने अपने खेतों में लगाये फलदार पौधे

नर्मदा तट के गांवों में 292 हेक्टेयर क्षेत्र के 425 अतिक्रमण हटाये गये हैं। नर्मदा नदी के तटों के गांवों में 16 हजार किसानों ने अपने खेतों में फलदार पौधे लगाये हैं। नर्मदा कैचमेंट में स्थित जिलों में पॉलीथिन की रोकथाम के लिये की गई कार्रवाई में दो हजार 946 किलोग्राम पॉलीथिन जब्त की गई। साथ ही लोगों को पॉलीथिन के दुष्प्रभाव की जानकारी देने के लिये जनजागरण कार्यक्रम किये गये हैं। नर्मदा तट के ग्राम मेताखेड़ा में उत्खनन में 50 हजार वर्ष पुराने पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। प्रदेश के स्कूली विद्यार्थियों ने विगत 23 सितम्बर को नदी संरक्षण का संकल्प लिया है।

बैठक में जन-अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पांडे, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री ए.पी. श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव ग्रामीण विकास श्री आर.एस. जुलानिया, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी विकास श्री रजनीश वैश सहित नर्मदा सेवा मिशन से संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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