इंदौर। संवेदनहीन किस्से रोज हकीकत बन रहे हैं। जिन माता-पिता ने बच्चों की अंगुली पकड़कर उन्हें चलना सिखाया, वही बच्चे घर से बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। कुछ समय पहले तक बुजुर्ग सास-ससुर बहुओं के खराब रवैये की शिकायत करने पहुंचते थे, लेकिन अब उन्हें बहू से ज्यादा बेटों से परेशानी हो गई है। बेटों को माता-पिता से उनका मकान प्यारा लग रहा है।पलासिया पुलिस थाने के पीछे स्थित वरिष्ठ नागरिक सहायता केंद्र के आंकड़ों पर गौर करें तो पचास फीसदी केस घर से बेदखल किए जा रहे बुजुर्ग दंपतियों के दर्ज हुए हैं। 50-55 केस प्रॉपर्टी विवाद के हैं। जानकारों के मुताबिक यह तो सिर्फ वह आंकड़े हैं जो कागजों में दर्ज हो रहे हैं। ज्यादातर लोग बदनामी के डर से शिकायत दर्ज कराने नहीं पहुंचते।
केस-1: पिता से झगड़ा
गौतमपुरा के 80 साल के लक्ष्मीनारायण के आठ बेटे हैं। आठ एकड़ जमीन के साथ बड़ा मकान है। बेटों के नाम पिता ने एफडी की है, लेकिन बेटे उसे नकदी कराकर पिता से किनारा करना चाह रहे हैं। पिता बेटों के रोज की माथापच्ची से परेशान होकर मदद मांगने पहुंचा
केस-2: मां को घर से निकाला
भोपाल से एक बुजुर्ग मां को बेटे ने इसलिए घर से निकाल दिया, क्योंकि मां ने अपने जेवर बेटे के बजाय बेटी को दे दिए। मां के नाम पर बने घर के कागज पर हस्ताक्षर कराकर बेटे ने मकान अपने नाम करवा लिया। मां इंदौर में खजराना पर भीख मांगकर गुजर करने को मजबूर हो गई।
केस-3: मकान पर बेटे ने कब्जा किया, पिता पाई-पाई को मोहताज
इरशाद कॉलोनी खजराना में रहने वाले अब्दुल हाफिज के मकान पर बेटे ने कब्जा कर लिया। पिता मकान बेचकर पैसा बैंक में रखकर दवाई और खाने-पीने का खर्चा निकलना चाहते हैं, लेकिन बेटा न तो उन्हें मकान बेचने दे रहा है, न किराये के पैसे देता है। वो एक-एक पाई के लिए परेशान हैं।
पिता का डर-मकान नाम कर दिया तो उन्हें बेदखल न कर दें
वरिष्ठ नागरिक परामर्श केंद्र के प्रभारी एनएस जादौन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने जब से पिता को यह अधिकार दिया है कि उनकी मर्जी के बिना संपत्ति का हस्तांतरण बेटे को नहीं हो सकता, प्रॉपर्टी विवाद की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं। बेटों के मन में डर है कि कहीं पिता संपत्ति किसी और के नाम न कर दें। ज्यादातर मामलों में बेटे जीते जी पिता के मकान पर अपना आधिपत्य चाहते हैं, जबकि पिता बेदखली के डर से मकान उसके नाम करने से घबराता है।
माता-पिता को घर से बेदखल करने के 50 मामले दर्ज
जनवरी से अब तक कुल 143 बुजुर्ग नागरिकों के केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से करीब 50 केस बच्चों द्वारा मकान पर कब्जा कर बूढ़े माता-पिता को घर से बेदखल करने के हैं।
80 फीसदी केस काउंसिलिंग से हल
केंद्र के काउंसलर डॉ.आरके शर्मा व आनंद श्रीवास्तव ने बताया कि 80 फीसदी केस काउंसिलिंग से हल हो जाते हैं। नहीं मानने पर केस कोर्ट में फॉरवर्ड करते हैं। कुछ मामलों में माता-पिता भी अड़ जाते हैं।
इस तरह आ रहीं शिकायतें
– बहू-बेटों द्वारा दोनों समय भोजन और कपड़े नहीं देना।
– बहू-बेटों द्वारा अपने लिए अच्छा और माता-पिता को रात का बचा हुआ बासी भोजन देना।
– शराबी और बेरोजगार बेटों द्वारा बुजुर्ग माता-पिता से मारपीट करना।
– बहू द्वारा सास के साथ गाली गलौज और अभद्रता करना।
– बीमार माता-पिता का इलाज नहीं करवाना, उन्हें समय पर दवाइयां लाकर नहीं देना।
– माता-पिता को भरण-पोषण नहीं देना।