भोपाल. मध्य प्रदेश के बर्खास्त आईएएस दंपति अरविंद जोशी (Arvind Joshi) और टीनू जोशी (Tinu Joshi) की करीब 100 करोड़ की बेनामी संपत्ति (Property) जल्द कुर्क की जा सकती है. आयकर विभाग (Income Tax Department) ने इस संपत्ति को सबसे पहले अटैच किया था. अब इस बेनामी संपत्ति की पुष्टि भी हो गई है. यही कारण है कि अटैच की गई बेनामी 100 करोड़ की 100 प्रॉपर्टी पर जल्द कुर्की की कार्रवाई होगी.
फरवरी 2010 में आयकर विभाग ने जोशी दंपति के भोपाल स्थित करोड़ों के बंगले पर छापा मारा था. लंबी कार्रवाई के बाद आयकर विभाग के बेनामी विंग ने पहले 100 प्रॉपर्टी को अटैच किया था. अब आयकर की दिल्ली स्थित एडजुकेटिंग अथॉरिटी विंग ने इस बेनामी प्रॉपर्टी की पुष्टि की है.
दरअसल, हाईकोर्ट में कई याचिकाएं खारिज होने के बाद अटैचमेंट नोटिस जारी कर जोशी दंपति से जवाब मांगा गया था. लेकिन जोशी दंपति की ओर संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. ऐसे में आयकर विभाग जल्द ही इनकी बेनामी संपत्ति पर कुर्की की कार्रवाई करेगा.
अरविंद-टीनू जोशी की संपत्ति में फेथ ग्रुप के मालिक राघवेंद्र सिंह तोमर की पार्टनरशिप की बात सामने आई है. हाल ही में दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने फेथ बिल्डर और गोल्डन बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई की थी. जिसके बाद फेथ क्रिकेट एकेडमी की 10 में से 15 एकड़ जमीन अटैच की जाएगी.
दरअसल, यह जमीन अरविंद जोशी के पिता एचएम जोशी और उनकी माता निर्मला जोशी के नाम पर निकली है. अभी तक जितनी भी संपत्ति जोशी दंपति की अटैच की गई थी और आगे जिस पर कुर्की की कार्रवाई होनी है उनमें फेथ क्रिकेट एकेडमी की 10 एकड़ जमीन शामिल नहीं थी. जमीन का बाजार मूल्य करीब 10 करोड़ रुपए आंका गया है. एकेडमी की जमीन पहले अटैच होगी. इसके बाद अटैचमेंट का नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा. जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर इसकी पुष्टि करने के बाद कुर्की की कार्रवाई की जाएगी.
100 संपत्ति में 220 एकड़ जमीन कृषि भूमि, फ्लेट, घर और प्लॉट हैं. इसकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपए आंकी गई थी. एक कंपनी में शामिल 40 प्रॉपर्टी में माता-पिता के नाम 10 प्रॉपर्टी, नौकर और उसके परिजनों के नाम पर 10 प्रॉपर्टी शामिल हैं. इनकी जमीनें रायसेन, सीहोर और मंडला में भी हैं. साथ ही मंडला स्थित कान्हा नेशनल पार्क में एक रिसोर्ट बनाने की जानकारी भी मिली थी. 4 करोड़ रुपए की बीमा पॉलिसी थी. अटैचमेंट की कार्रवाई के खिलाफ अरविंद-टीनू जोशी की तरफ से छह बार हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था.