भारत को दक्षिण एशिया में स्थायित्व प्रदान करने वाली ताकत बताते हुए अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा कि भारत-अमेरिका के राजनीतिक संबंध और मजबूत हो सकते हैं. दोनों पक्ष ‘बड़ी-बड़ी बातों’ को व्यावहारिक हकीकत में बदलने की दिशा में काम कर रहे हैं.

सदन की सशस्त्र सेवा समिति में अफगानिस्तान पर बहस के दौरान मैटिस ने सदस्यों को बताया, ‘फिलहाल कई पहलुओं पर बातचीत चल रही है, फैसले भी जल्दी ही होंगे.’ उन्होंने कहा, ‘हम दोनों इन बड़ी-बड़ी बातों को वास्तविकता में बदलने पर काम कर रहे हैं और चूंकि मैं दोनों पक्षों को इसपर काम करते हुए देख रहा हूं, मैं आशावादी हूं.’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच राजनीतिक संबंध और मजूबत हो सकते हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से अपने पिछले सप्ताह के भारत दौरे पर मुलाकात करने वाले रक्षा मंत्री ने भारत को दक्षिण एशिया में स्थायित्व स्थापित करने वाली ताकत बताया.

मैटिस ने कहा, ‘वह (भारत) दक्षिण एशिया में स्थायित्व स्थापित करने वाली ताकत है. वह हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भी स्थायित्व स्थापित करने वाली ताकत है. यह वैसा राष्ट्र है जो स्वमेव आर्थिक रूप से महान देश बन रहा है, क्योंकि अभी तक उनकी विकास दर स्थिर है.’ एक अन्य सवाल के जवाब में मैटिस ने कहा कि भारत को क्षेत्र में अपनी सीमाओं से बाहर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है.

मैटिस ने कहा, ‘यदि भारत और पाकिस्तान के बीच दोनों देशों के व्यापक आर्थिक लाभ के वास्ते व्यापार के लिए सीमा खोलने का कोई रास्ता निकलता है तो यह समूचे क्षेत्र के लिए बड़ा मददगार होगा.’ उन्होंने कहा कि स्थिरता से आर्थिक समृद्धि आती है. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि आखिरकार वे इसे होते हुए देखेंगे.

मैटिस ने सीमा पार से होने वाली घुसपैठ तथा उस पर रोक के अप्रत्यक्ष संदर्भ में कहा, ‘मेरा मानना है कि भारत ऐसा चाहता है, लेकिन यह ऐसी स्थिति में करना बेहद मुश्किल है जब आप सीमा किसी और चीज के लिए खोलते है तथा आपको मिलता कुछ और है.’ अफगानिस्तान में भारत की भूमिका पर सिलसिलेवार सवालों का जवाब देते हुए मैटिस ने कहा, ‘नई दिल्ली का अफगानिस्तान के साथ वर्षों से लगाव रहा है. वर्षों से अफगानिस्तान को वित्तीय मदद की वजह से भारत को बदले में अफगान लोगों का लगाव मिला है. वे इस प्रयास को लगातार जारी रखना चाहते हैं और इसे विस्तारित करना चाहते हैं.

इसके अलावा, वे अफगानिस्तान के सैन्य अधिकारियों और गैर कमीशनप्राप्त अधिकारियों को अपने स्कूलों में प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहे हैं.’ मैटिस ने कहा कि इसके अलावा भारत अफगान सेना के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है जिससे अफगान सेना हताहतों की संख्या को कम करने और बेहतर उपचार में सक्षम हो सके.

उन्होंने कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां भारत और अमेरिका एक-दूसरे के लिए स्वाभाविक साझेदार हैं. दोनों देश अपनी सेनाओं के बीच संबंधों को गहरा और विस्तारित कर रहे हैं. मैटिस ने पाकिस्तान की चिंता को दूर करते हुए कहा, ‘‘लेकिन यह किसी को बाहर करने की रणनीति नहीं है. कोई भी देश जो दक्षिण एशिया में आतंकवाद रोधी प्रयास और इस स्थिरता प्रयास से जुड़ना चाहता है, वह इसमें जुड़ सकता है.’

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