ग्वालियर। बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं, जिस आकार में ढाल दो, उसी आकार में ढल जाएंगे। बच्चों को अगर सही दिशा मिल जाए तो वही बच्चे आने वाले समय में भगवान महावीर, श्रीराम बन सकते हैं और अगर भटक जाएं तो रावण बनने में भी देर नहीं लगती। बिना शिक्षा के जीवन का कोई महत्व नही होता। बच्चे मां-बाप के सपने होते हैं और गौरव होते हैं। मां-बाप मजदूरी करके अपने बच्चों को पढ़ाते लिखाते हैं कि हमारा बच्चा आगे चल कर योग्य बने, धर्म सस्कृति और देश मे नाम रोशन करे। अपने मां बाप के सपनों को तोड़ना नहीं चाहिए। शिक्षक भी बच्चों को सिर्फ कागजी पढ़ाई की शिक्षा न दें बल्कि धर्म व संस्कारों की भी शिक्षा दें। यह बात ग्वालियर की लोहमंडी लाला गोकुलचंद जैन मदिंर में अयोजित सिद्धचक्र महामंडल विधान के आज पाॅचवें दिन गुरूवार को प्रतिष्ठाचार्य शशिकांत शास्त्री ने धर्मसभा में संबोधित करते हुए कही।

शास्त्री ने कहा कि धर्म गुरुओं द्वारा दी गई धर्मिका संस्कारो की शिक्षा बच्चों के भविष्य में बहुत काम आती है। इंसान को एक अच्छा व्यक्ति बनने के लिए हजारों गुण चाहिए होते हैं, लेकिन भविष्य बिगाड़ने के लिए एक अवगुण ही काफी है। इस मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष पदमचंद जैन, महामंत्री देवेद्र जैन, दिलीप जैन, नवरंग जैन, अभिलाष जैन, राहुल जैन, अलोक जैन, प्रवक्ता सचिन जैन आदि मौजूद थे।

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि सोशल डिस्टेसिंग व माक्स पहनकर सिद्धचक्र महामंडल विधान प्रतिष्ठाचार्य शशिकांत शास्त्री ने मंत्रउच्चारण के साथ सौधर्म इंद्रा पदमचंद जैन सहित इंद्रो ने चारों ओर से जिनेंद्र देव के ऊपर अभिषेक जयकारों के साथ किया। रिद्धि मंत्रों ने बृहद शांतिधारा राजेश कुमार पदम कुमार मनोज जैन परिवार करने का सौभाग्य मिला। अभिषेक के उपरांत भगवान की महाआरती इंद्रो संगीतमय भक्ति में की। संगीतकार शुभम जैन सैमी के भजनो पर भावविभोर होकर भक्ति नृत्य किया।

इस विधान में इंद्रा-इंद्राणियो ने पीले वस्त्र धारण कर सिर पर मुकुट गले में माला पहनकर भक्ति भाव के साथ पूजा आर्चन कर मैना सुंदरी प्रिंकी मनोज जैन के द्वारा विधान के छंदो पर मंत्रोच्चार पर सिध्दप्रभू की आराधना भक्ति करते हुए 128 महाअर्घ्य जिनेन्द्र देव के सामने मढ़ने पर समर्पित किए गए।

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