भोपाल। दुष्कर्म, छेडछाड जैसे मामलों में अक्सर पुलिस की असंवेदशीलता और विवादित कार्यशैली उजागर होती रही है, जो मध्यप्रदेश पुलिस और सरकार की किरकिरी कराती है। राजधानी भोपाल में आठ साल की मासूम से दुष्कर्म के बाद ह्त्या के मामले में एक बार फिर पुलिस कटघरे में है। तमाम कोशिशों के बाद भी बेटियों की सुरक्षा में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। इसके चलते अब पुलिस अधिकारी भी सख्त रवैया अपना रहे हैं। दुष्कर्म जैसी जघन्य अपराध अक्सर छिपकर होती हैं। लेकिन अब यदि इस तरह का अपराध पुलिस को सामने होता दिखा तो गोली चलेगी। यह बात आज मंगलवार को आईजी भोपाल रेंज योगेश देशमुख ने संवाददाताओं से चर्चा में कही।
भोपाल आईजी का पद संभालने के बाद मंगलवार रात पुलिस कंट्रोल रूम में हुई उनकी ये पहली प्रेस कांफ्रेंस थी। इस दौरान उन्होंने माना है कि बच्चियों और महिलाओं से जुडे अपराधों में भोपाल पुलिस कम संवेदनशील नजर आती है। आईजी ने स्वीकार किया कि पीडित परिजनों के प्रति कुछ पुलिसकर्मियों का व्यवहार ठीक नहीं था। उन्हें निलंबित किया गया है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि बच्चियों से दुष्कर्म जघन्य अपराध है। यदि पुलिस को इस तरह का अपराध होता हुआ दिखा, तो पुलिस आरोपी पर गोली चलाने में देर नहीं करेगी। इस तरह की कार्रवाई को कानून के दायरे में रहकर अंजाम दिया जाएगा।
आईजी ने कहा कि बच्चियों से जुडे इस तरह के अपराध यूं तो छिपकर ही होते हैं। यदि ऐसा होते हमारे किसी स्टाफ को नजर आ गया तो आरोपी पर गोली भी चलेगी। भोपाल में किसी को लगता है कि गैंगवार कर लेंगे। तो इसे हम सहन नहीं कर सकेंगे। बगैर किसी दबाव के हमें पता है कि ऐसे अपराधियों से कैसे निपटना है। आईजी के इस बयान को लेकर सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं। बीजेपी ने सरकार को घेरते हुए अधिकारी के इस तरह के निर्देश को कटघरे में खडा किया है।