अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बेहद जल्दबाजी में हैं. वो दुनिया के नक्शे से नॉर्थ कोरिया को जल्द मिटाना चाहते हैं. उनको अब ये मानने में कोई हिचक नहीं है कि नॉर्थ कोरिया से बात करना समय की बर्बादी है. दरअसल डोनाल्ड ट्रंप की नीति अमेरिका की विदेश नीति से अलग ही चलती है और अब उनकी रक्षा नीति अमेरिका के पुराने राष्ट्रपतियों के कामों को समय की बर्बादी बता रही है.
ट्रंप ने कहा कि नॉर्थ कोरिया से निपटने में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन और बराक ओबामा नाकाम साबित हुए हैं. लेकिन वो जरूर कामयाब होंगे. उन्होंने अपने ‘वंडरफुल’ विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को ‘तैयारी’ करने का आदेश दे दिया है. खुद विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन का कहना है कि इस वक्त अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के बीच अब तक का सबसे तनावपूर्ण दौर चल रहा है.
ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि ‘रॉकेट मैन के साथ अच्छा व्यवहार पिछले 25 साल में काम नहीं आया, तो अब कैसे काम आएगा? क्लिंटन नाकाम रहे, बुश असफल रहे और ओबामा फेल रहे. मैं नाकामयाब नहीं होऊंगा.’
लेकिन ट्रंप को इतिहास के राष्ट्रपतियों से सीख लेने की भी जरूरत है. नब्बे के दशक में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी नॉर्थ कोरिया पर हमले की तैयारी पूरी कर ली थी. लेकिन ऐन मौके पर हमले को टालना पड़ गया था.
जिस तरह से क्लिंटन के पास साल 1994 में नॉर्थ कोरिया पर हमला करने और फिर हमला टालने की वजह थी उसी तरह आज भी अमेरिका के पास अगर हमला करने की वजह है तो हमला टालने की बड़ी वजह आज तक टली नहीं है.
नॉर्थ पर खतरा मंडराया तो दक्षिण कोरिया पर होगा हमला
नॉर्थ कोरिया के ऊपर अगर अमेरिका बम बरसाता है तो उसके परमाणु प्रतिष्ठानों से लीक होने वाला रेडियोएक्टिव पदार्थ पड़ोसी मुल्कों के लिए तबाही का सबब बन जाएगा. जबकि साथ ही हमले की सूरत में नॉर्थ कोरिया सबसे पहले दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में परमाणु बम गिराने में देर नहीं करेगा. इसी रणनीति से नॉर्थ कोरिया लगातार अमेरिका और पश्चिमी देशों को ब्लैकमेल करता आ रहा है.