प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान समिट में हिस्सा लेने के लिए फिलीपींस में हैं. मंगलवार को यहां उन्होंने वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फक से मुलाकात की. पीएम मोदी उनके अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल से भी मुलाकात की. पीएम ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे समेत अन्य नेताओं से भी मुलाकात की.
गौरतलब है कि चीन को घेरने की रणनीति के तहत भारत का अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और वियतनाम के साथ आना काफी अहम हो जाता है. दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर वियतनाम और चीन के बीच रिश्तों में खटास रही है. पीएम मोदी ने फिलीपींस के राष्ट्रपति दुर्तते से भी मुलाकात की. वियतनाम और चीन ने दक्षिण चीन सागर में टकराव खत्म करने पर सहमति जताई है. इस कदम का मकसद लगभग पूरे जलमार्ग पर चीन के दावे को लेकर जारी तनाव को दूर करना है. दोनों साम्यवादी पड़ोसी का समुद्री क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है.
इस जल क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर ताइवान के साथ ब्रुनेई और फिलीपीन भी अपना दावा करते हैं. इस जलमार्ग से सालाना 5,000 अरब डालर का कारोबार होता है. चीन ने कृत्रिम द्वीप और हवाई पट्टी तैयार की है जिससे समुद्र में सैन्य ठिकाने बनाये जा सकते हैं. इस क्षेत्र में बड़े तेल एवं गैस भंडार के क्षेत्र हैं.
ट्रंप से की मुलाकात
आपको बता दें कि इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई. दोनों नेता बैठक के दौरान कई मुद्दों पर बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप से मुलाकात कर कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते काफी पुराने और मजबूत हैं. दोनों देश एशिया और मानवता के लिए साथ मिलकर काम करेंगे.
साथ आ रहे हैं चार दोस्त
भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक चतुर्भुज गठबंधन होने वाला है. माना जा रहा है कि यह गठबंधन मुख्य रूप से चीन को नियंत्रित करने के लिए बनाया जा रहा है. दरअसल, इस गठबंधन की पहल दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता को ध्यान में रखते हुए की गई है. सामरिक महत्व के एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका भारत के लिए बड़ी भूमिका की वकालत कर रहा है.