वाराणसी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को बड़ा रिटर्न गिफ्ट देने के बाद जनसभा को संबोधित किया। बीएचयू के एम्फीथियेटर ग्राउंड में उन्होंने वाराणसी को पूर्वी भारत के गेट-वे के रूप में विकसित करने की अपनी योजना के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि हम चार सवा चार साल पहले काशीवासी बदलाव के इस संकल्प लेकर निकले थे। आज अंतर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। उन्होंने जनसभा में बैठे लोगों से सवाल किया कि बदलाव नजर आ रहा या नहीं। उन्होंने कहा कि आज मुझे संतोष है कि बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से वाराणसी को विकास की नई दिशा देने मे सफल हुए हैं। हमने वो दिनभी देखें हैं, जब यहां की व्यवस्था को देखकर बेहाल दिखता था। यह शहर भी बिजली के उलझे तारों की तरह अव्यवस्थाओं से उलझा हुआ था। आज काशी में हर जगह परिवर्तन होता दिख रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमरे काशी का लोगन हमरा के एतना प्यार देलन की मन गदगद हो जाला। बार-बार काशी आवे के मन करैला। इसके साथ ही हर-हर महादेव।विकास के कार्य बनारस शहर ही नहीं, आसपास के गांवों से भी जुड़े हैं। बिजली, पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ी परियोनाएं तो हैं किसानों, बुनकार की योजनाएं भी शामिल है। बनारस हिंदू विश्विविद्लय को 21 वी सदी का नॉलेज सेंटर बनाने की कई परियोजनाएं शुरू की गई है। फिर यााद दिलाया-हम काशी में जो भी बदलाव लाने की कोशिश कर रहे है, उसमें काशी की परंपराओं-पौराणिकताओं को बचाते हुए किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां सांसद बनने से पहले बिजली के लटकते तारों को देखकर सोचता था इससे कब मुक्ति मिलेगी। देखिए आज शहर के एक बड़े हिस्से से बिजली के लटकते तार गायब हैं।वराणसी में चार साल के दौरान कराए गए विकास कार्यों की पूरी फेहरिस्त सुनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वारणसी में हो रहे विकास के गवाह यहां एयरपोर्ट पर आ रहे लोग भी बन गए। टूरिस्टों की तादाद लागातार बढ़ रही है। बाबतपुर एयरपोर्ट पर आने वाले की संख्या प्रतिवर्ष आठ लाख से बढ़कर 11 लाख हो गई है। यह शहर ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक के बड़े हब के तौर पर उभरने वाला है।
उन्होंने कहा कि वाराणसी ही नहीं, पास के क्षेत्रों को हर पल बिजली मिलने वाली है। एक और बिजली केंद्र के साथ लो वोल्टेज की समस्या से छुटकारा मिलेगा। वाराणसी को पूर्वी भारत के रूप में विकसित करने का प्रयास हो रहा है। इसके तहत वाराणसी वर्ल्ड क्लास की सुविधा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। आज काशी की सड़कों पर रात में भी मां गंगा का प्रवाह सा दिखता है। एलईडी बल्बों से रोशनी तो दिखती है, बिजली के बिल में भी कमी आई है। बनारस में रिंग रोड की चर्चा हो रही थी, लेकिन काम फाइलों में दबा हुआ था। 2014 में सरकार बनने के बाद रिंग रोड की फाइल को फिर से निकाला गया। लेकिन यूपी की पहले की सरकार ने काम आगे नहीं बढ़ने दिया गया। उनको फिक्र सता रही थी कि यह काम हो गया तो मोदी की जय-जय हो जाएगी। काशी रिंग रोड के निर्माण से सिर्फ काशी ही नहीं, आसपास के जिलों को भी लाभ मिलने वाला है। वाराणसी शहर के भीतर और दूसरे राज्यों से जोड़ने वाली सड़कों का विस्तार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर लोगों को खुशी में वाराणसी कैंट की तस्वीर पोस्ट करते हुए देखता हूं तो मेरी खुशी दोगुनी हो जाती है। स्वच्छता के मामले में भी काशी ने परिवर्तन देखा है, आज यहाँ के घाटों, सड़कों और गलियों में स्वच्छता स्थाई बनती जा रही है। कैंट स्टेशन हो, मडुआडीह हो या फिर सिटी स्टेशन, सभी पर विकास के कार्यों को गति दी गई है, उन्हें आधुनिक बनाने का काम किया जा रहा है। रेल से काशी आने वालों को रेलवे स्टेशन पर आते नई काशी के दर्शन हो जाते हैं। इलाहाबाद-छपरा के रेल लाइन दोहरीकरण का कार्य प्रगति पर है। आधुनिक सुविधाओं वाली ट्रेनों ने भी लोगों का ध्यान खींचा है। आज काशी में न सिर्फ आना जाना आसान हो रहा है। बल्कि इसका सौंदर्य भी निखर रहा है। घाटों पर अब गंदगी नहीं रोशनी स्वागत करती है। पर्यटन से परिवर्तन का अभियान लगातार जारी है।