सोनागिर। उड़ते वही है जिनके सपनों में जान होती है। केवल पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। सही निशाने के लिए एक ही तीर काफी है अगर सही जगह लग जाए तो कोई तुम्हारा साथ ना दे तो गम ना करें प्रभु से बड़ा दुनिया में कोई हमसफर नहीं होता है। स्वयं को चिंता और तनाव मुक्त बनाने के लिए जीवन का एक उसूल अपना लेना चाहिए। यह विचार क्रांतिवीर मुनिश्री प्रतीक सागर जी महाराज ने अमोल धर्मशाला स्थित आचार्य पुष्पदंत सागर सभागृह में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही!

मुनिश्री ने कहा कि जो मेरा है वह जाएगा नहीं जो चला गया वह कभी मेरा था ही नहीं बस एक छोटी सी सोच आपके संपूर्ण जीवन को बदल देगी अपने भविष्य को बनाने को अपने वर्तमान को दांव पर अवश्य लगाएं पर उतना ही जिसे वर्तमान दुखी ना हो। मुनि श्री ने अपनी धारा प्रभा वाणी को जारी रखते हुए कहा आप कभी निराश ना हो दुनिया का कोई भी पत्थर एक ही बार में नहीं टूटता पर दसवीं बार में टूटने वाले पत्थर के लिए उन नौ बारो को अर्थ हीन नहीं कहा जा सकता है। जिसकी हर चोट ने पत्थर को कमजोर किया था। असफलता सफलता की सीढ़ी है। गिरेगा वही जो चलेगा, पहुंचेगा वही जो गिरने के बाद फिर चलेगा। आप जहां हैं अगर वहीं बैठे रहे तो कहीं नहीं पहुंचेंगे शिखर को लक्ष्य बनाकर चलने वाले लोग भले ही शिखर तक ना पहुंचे पर छोटी मोटी कई चोटियां तो पार कर ही जाते हैं। सफलता कोई मंजिल नहीं है एक लंबी यात्रा है इसे तब तक जारी रखिए जब तक एक भी सांस बाकी है भला जब अंधे के लिए भी सफलता की संभावना है तो आपके लिए क्यों नहीं?

मुनि श्री ने कहा कि अपने समर्थन में 100 लोगों को खड़ा करने के लिए अपनी सफलता का स्वाद दूसरों को भी चखाते रहिए ताकि आपकी सफलता आपका स्वार्थ ना बन जाए। सच्ची सफलता वही होती है जिसका आनंद पूरे परिवार और परिजनों को बांटा जाए । अगर आप अमीर हैं तो तय है की आपका बेटा भी अमीर कहलाएगा पर आप अपने बच्चे को उस अनुशासन की नसीहत जरूर दें जिससे वह भी उसी सफलता का आनंद ले सके। जिसका आपने आनंद लिया है। सफलता का मूल मंत्र है बेहतर सोच, बेहतर कार्य शैली।

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