ग्वालियर । गौवंश के संरक्षण के लिये प्रदेश में आठ “गौवंश वन्य विहार” स्थापित किए जायेंगे। इस कड़ी में जबलपुर में “गौवंश वन्य विहार” शुरू हो चुका है। इस आशय की जानकारी मध्यप्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड कार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने दी। वे ग्वालियर जिले के प्रवास पर आए हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के बुंदेलखण्ड, बघेलखण्ड, महाकौशल एवं मध्यभारत क्षेत्र में “गौवंश वन्य विहार” विकसित करने की संभावनायें तलाशी जा रही हैं।
स्वामी अखिलेश्वरानंद ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा गौवंश के संरक्षण के लिये “गौ अभ्यारण्य” की स्थापना भी की गई है। यह अभ्यारण्य आगर मालवा जिले की सुसनेर तहसील के अंतर्गत सालरिया नामक स्थान पर लगभग 586 एकड़ क्षेत्र में स्थापित किया गया है। लगभग 6 हजार गौवंश के संरक्षण के लिये स्थापित यह अभ्यारण्य आगामी अक्टूबर माह में पड़ने जा रही “गोपाष्टमी” से शुरू हो जायेगा। उन्होंने बताया कि राज्य गौ संवर्धन बोर्ड में 1147 गौशालायें पंजीकृत हैं। इनमें से 586 गौशालायें क्रियाशील हैं। इन गौशालाओं में वर्तमान में लगभग एक लाख 41 हजार गौवंश संरक्षित है। पंजीकृत गौशालाओं को गौवंश के संरक्षण के लिये बोर्ड द्वारा अनुदान दिया जाता है।
गौसंवर्धन बोर्ड कार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद ने बताया कि गौवंश के लिये चारे की पर्याप्त उपलब्धता के उद्देश्य से गौसंवर्धन बोर्ड द्वारा “मध्यप्रदेश गोचर भूमि विकास मिशन” के गठन की योजना भी बनाई जा रही है। गौसंवर्धन बोर्ड इस दिशा में भी पूरी गंभीरता के साथ प्रयासरत है कि शहरी क्षेत्र में शामिल हुए गाँवों की चरनोई भूमि के एवज में बोर्ड को जिला प्रशासन जमीन मुहैया कराए, जिससे उस जमीन पर चारागाह विकसित किए जा सकें।
स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि गौवंश के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार के साथ समाज की भी है। खासतौर पर सड़कों पर खुले में गौवंश को छोड़ देने की प्रवृत्ति पशुपालकों को त्यागनी होगी। उन्होंने कहा कि गौवंश का केवल दूध ही नहीं उसके मूत्र व गोबर भी आय के बेहतर साधन बन सकते हैं। गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि गाय के गोबर से जैविक खाद का उत्पादन कर बंजर हो रही जमीन को उपजाऊ बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि गौवंश के पास जंगल का पोषण आहार होता है, इसलिये गायें जंगल के लिये नुकसानदेह नहीं अपितु लाभकारी हैं। गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि मध्यप्रदेश में सम्पूर्ण गौवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंधात्मक कानून प्रभावी है।