भोपाल। प्रदेश के करीब 50 हजार संत एवं पुजारी, अपनी जायज मांगों को लेकर आगामी 17 अगस्त को अपना डेरा जाएंगे। इस दौरान संत एवं पुजारी प्रशासन से बिना अनुमति लिए राजधानी भोपाल में एक बड़ा आंदोलन करेंगे। यह जानकारी अखिल भारतीय संतजन परामार्थ सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रामगिरी महाराज डंडावाले ने आज बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में दी।

रामगिरी महाराज ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि ​बीते 15 वर्षों से प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार संतों के साथ छलावा कर रही है। रामगिरी महाराज ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा अपनी नौटंकी दिखाते हुए संतों एवं पुजारी की मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

हर बार संतों ने अपनी विनम्रता दिखाते हुए प्रदेश सरकार से विचार विमर्श करना चाहा, लेकिन सरकार उनके साथ चर्चा करने को ही तैयार नहीं। इसी बात के विरोध के प्रदेश का संत समाज एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आगामी 17 जलाई को बड़ा आंदोलन करेगा।

रामगिरी महाराज ने इंडिया वन समाचार के एक सवाल के जवाब में कहा कि जब भी प्रशासन से आंदोलन करने की अनुमति मांगी गई, तो सरकार ने संतों को अनुमति नहीं दी। इस बात से नाराज होकर इस बार सभी 50 हजार संत एवं पुजारी बिना प्रशासन से अनुमति लिए आंदोलन करेंगे।

संतों की प्रमुख मांगें:-

. प्रबंधक कलेक्टर को हटाया जाए।

. संतों-पुजारियों को प्रबंधक बनाया जाए।

. विभाग की अनुमति के बिना मंदिर भूमि अधिग्रहित न की जाए।

. मठ-मंदिरों में नामांतरण हिन्दू विधि अधीन किया जाए।

. धार्मिक आयोजनों में धर्माचार्यों की बात सुनी जाए।

. पुराने मठ मंदिरों का नियमितिकरण कर उन्हें विकसित किया जाए।

. प्रदेश की गोचर भूमि गौशालाओं को दी जाए।

. धार्मिक कार्यों की समितियों में संत एवं पुजारियों के एक प्रतिनिधि को स्थान दिया जाए।

. प्रदेश के 50 हजार शासन संधारित मंदिरों का सरकारीकरण समाप्त किया जाए।

. प्रदेश के चार प्रमुख धर्मों में जो भेदभाव किया जा रहा है इसे बंद किया जाए।

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