भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिये हैं कि परिवहन व्यवस्था हर हाल में ठीक की जाय। ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाय। परमिट देने की पारदर्शी प्रणाली रहे। इसमें सुनिश्चित किया जाय कि प्रभावशाली बस आपरेटरों के दबाव में आकर कहीं गड़बड़ नहीं हो। मुख्यमंत्री एक बैठक में ग्रामीण परिवहन की समीक्षा कर रहे थे। परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा, मुख्य सचिव आर. परशुराम और अपर मुख्य सचिव एंटोनी डिसा भी बैठक में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं में वाहन लेने वालों को परमिट प्रदान करने में प्राथमिकता दी जाये। बैठक में निर्णय लिया गया कि ग्रामीण परिवहन व्यवस्था में सुधार के लिये ग्रामीण परिवहन की परिभाषा बदलेगी। अब 50 प्रतिशत तक ग्रामीण मार्ग में चलने वाले वाहनों को ग्रामीण परिवहन की श्रेणी में माना जायेगा। इन वाहनों को शहरी बस स्टेण्ड तक पहुँचने की सुविधा रहेगी। अस्थायी परमिटों की जगह स्थायी परमिट जारी किये जायेंगे।
बैठक में बताया गया कि परिवहन विभाग द्वारा व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने के लिये आवश्यक संशोधन किए गए हैं। अब स्थाई परमिट क्षेत्रीय परिवहन उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा दिये जायेंगे। यह व्यवस्था 01 नवम्बर से लागू हो जाएगी। कलेक्टरों से न्यूनतम और कम यात्री वाले मार्ग चिन्हित करवाये जायेंगे। बैठक में बताया गया कि ग्रामीण और साधारण मार्गों की परिभाषाओं को भी संशोधित किया जा रहा है। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2009 में कुल स्वीकृत 4600 मार्ग में से 1129 में मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन की बसों का परिचालन होता था। वर्तमान समय में 7 हजार मार्ग सितम्बर 2010 से अधिसूचित है। इनमें से 6 हजार साधारण और 1 हजार ग्रामीण मार्ग है। साधारण मार्गों पर कुल 14 हजार परमिट स्वीकृत किए गए हैं। इसी प्रकार ग्रामीण मार्गों में 895 परमिट प्रदाय किए गए हैं। बैठक में परमिटों की संख्या बढ़ाये जाने की जरूरत भी रेखांकित की गयी।
बैठक में प्रमुख सचिव वित्त अजयनाथ, परिवहन सचिव मनीष श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के सचिव एस.के. मिश्रा और परिवहन आयुक्त संजय चौधरी भी उपस्थित थे।