भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश का आगामी बजट क्रांतिकारी सुधारों वाला होगा। यह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण को प्रशस्त करेगा। चौहान आज यहां मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश के आगामी बजट के संबंध में अर्थशास्त्रियों एवं विषय-विशेषज्ञों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने उपयोगी चर्चा के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
आज की चर्चा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, कृषि, लोक वित्त एवं बैकिंग, ग्रामीण विकास एवं आर्थिक गतिविधियां, वृहद एवं मध्यम उद्योग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं प्रबंधन आदि के क्षेत्र में अर्थशास्त्रियों एवं विषय-विशेषज्ञों से बहुमूल्य सुझाव प्राप्त हुए। प्रदेश के आगामी बजट में इन सुझावों को शामिल किया जाएगा। चर्चा के दौरान वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव मनोज गोविल, प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी आदि उपस्थित थे।
एम्स भोपाल के डायरेक्टर प्रो सरमन सिंह ने सुझाव दिया कि प्रदेश में 3-4 नए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जायें। फार्मा कंपनियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए तथा पोषण के क्षेत्र में और कार्य होने चाहिए। एमपी नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र जामदार ने कहा कि मध्यप्रदेश में मेडिकल टूरिज्म बढ़ाने के प्रयास किये जायें। एक वायरोलॉजी संस्थान बनाया जाये।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सुमित बोस ने सुझाव दिए कि मध्यप्रदेश में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप से सामाजिक क्षेत्र तथा अधोसंरचना विकास के लिए कार्य किये जायें। सीएसआर फंड के लिये भी प्रयास किये जायें। सामाजिक कार्यों के लिए एनजीओ का अधिक से अधिक सहयोग लिया जाए। बजट में ‘फ्लैक्सिबिलिटी’ हो जिससे सभी योजनाओं के लिए राशि मिले।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एमडी पल्लव महापात्र ने बजट में कृषि अधोसंरचना के लिए प्रावधान रखने का सुझाव दिया। उन्होंने प्रदेश में लेबर सेक्टर को बढ़ावा देने को कहा। आईआईएम के डायरेक्टर प्रो हिमांशु राय ने सुझाव दिया कि ‘फाइन्स’ और ‘पैनल्टीज’ को डेढ़ गुना किया जाये। विदेशी शराब और तंबाकू पर कर बढ़ाया जाये। कृषि क्षेत्र में भी पीपीपी मोड पर कार्य हो। शासकीय विद्यालयों में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हो।
नाबार्ड की मुख्य महाप्रबंधक टीएस राजी गैन ने सुझाव दिया कि मध्यप्रदेश में सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाये। इसके लिए मध्यप्रदेश केन्द्र सरकार के साथ एमओयू साइन करें। एनजीओ ‘प्रदान’ के एच के डेका ने सुझाव दिया कि प्रदेश में मुर्गीपालन की व्यापक संभावनाएँ हैं, इसलिये क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाये। आदिवासी एवं दलित महिलाओं की सहायता के लिए विशेष फंड रखा जाए। सागर ग्रुप के चेयरमैन सुधीर अग्रवाल ने कहा कि मध्यप्रदेश की कॉटन अच्छी गुणवत्ता की है और उत्पादन भी बहुत है। प्रदेश में टेक्सटाईल पार्क बनाया जाये। भोपाल शहर का मास्टर प्लान बने।
वोल्वो आयशर ग्रुप के एमडी विनोद अग्रवाल ने सुझाव दिया कि मध्यप्रदेश में बनने वाले वाहनों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। प्रतिभा सिंटैक्स के एमडी श्रेयस्कर चौधरी ने उद्योगों के लिए रियायती बिजली देने का सुझाव दिया। मैक्सोन ग्रुप के डायरेक्टर राजेन्द्र पटेल ने प्रदेश में लॉजिस्टिक कॉस्ट कम करने के प्रयास करने का सुझाव दिया। लघु उद्योग भारती के स्टेट जनरल सेकेट्री श्री राजेश मिश्रा ने तहसील एवं जिला स्तरों पर औद्योगिक भवन बनाने का सुझाव दिया, जहाँ लघु उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए किराये से स्थान मिल सके।
सीबीएसई स्कूल्स के प्रेसीडेंट अनिल धूपड़ ने सुझाव दिया कि प्रदेश में बड़े शिक्षा समूहों को आमंत्रित किया जाये। प्रदेश एजुकेशन हब बने। विद्या भारती के विवेक सेंडे ने सामाजिक संस्थाओं द्वारा संचालित छोटे-छोटे विद्यालयों को अधोसंरचना विकास के लिए सहायता दिए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए, कृषि संकाय प्रारंभ करें। राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील कुमार ने प्रदेश में राज्य शिक्षा आयोग के गठन की घोषणा करने का सुझाव दिया। फीस नियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ रवीन्द्र कान्हेरे ने सुझाव दिया कि सभी विद्यालयों में कृषि और वाणिज्य विषय के अध्यापन की सुविधा हो। शिक्षा अधोसंरचना का विकास किया जाये। साथ ही महाविद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस हो।