भोपाल। प्रदेश अध्यक्ष पद की जिद पर अड़े मध्यप्रदेश में कांग्रेस के तीसरे सबसे पावरफुल नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से अपने सभी रिश्ते तोड़ दिए हैं। यह जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर दी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी सभी सोशल मीडिया प्रोफाइल में अपना परिचय बदल दिया है. पहले वह खुद को कांग्रेस का महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद बताते थे लेकिन अब वह खुद को क्रिकेट प्रेमी और समाज सेवक बता रहे हैं। इस्तीफे की आधिकारिक घोषणा तो नहीं की गई लेकिन मैसेज क्लियर है। ज्योतिरादित्य सिंधिया अब कांग्रेस के लिए काम नहीं करेंगे।

लोकसभा चुनाव हारने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रदेश अध्यक्ष का पद प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। कांग्रेस हाईकमान के सामने वह अपनी इच्छा प्रकट कर चुके हैं। मुख्यमंत्री बनने के मामले में दो बार समझौता करने के बाद इस बार वो किसी भी कीमत पर प्रदेश अध्यक्ष पद से समझौता करने के मूड में नहीं है। इधर कमलनाथ कैंप और दिग्विजय सिंह खेमा लगातार उनकी नियुक्ति रोकने में सफल हो रहा है। कुछ समय से सिंधिया अपनी नाराजगी भी प्रकट कर रहे थे। धारा 370 के मामले में भाजपा की तारीफ करके उन्होंने हाईकमान को एक मैसेज भी दिया था लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। अंततः ज्योतिरादित्य सिंधिया हड़ताल पर चले गए हैं।

सूत्रों की माने तो कांग्रेस के चर्चित नेता दिग्विजय सिंह कभी नहीं चाहते कि सिन्धिया को कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी जाए। जिस तरह अर्जुन सिंह ने माधवराव सिन्धिया को प्रदेश की राजनीति से दूर रखा उसी तरह दिग्विजय सिंह ज्योतिरादित्य सिन्धिया को प्रदेश की राजनीति में नहीं आने देंगे। अब देखना है कि प्रदेश की राजनीति में क्या होता है। भाजपा के नेताओं की निगाह सिन्धिया पर है। अगर सिन्धिया कांग्रेस छोडते है तो कांग्रेस सरकार भी नहीं बच पाएगी।

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