एक तरफ नरेंद्र मोदी दुनिया भर की सुर्खियों में हैं तो दूसरी तरफ एक और मोदी हैं जो पूरी यूपी में फेमस हैं। ये कोई नेता या कारोबारी नहीं, बल्कि ये तो थिएटर की एक मंझी हुई कलाकार हैं। नाम है सीमा मोदी। इनकी तारीफ में क्या कहें, इतना काफी है कि एक आईपीएस इन्हे देखते ही फिदा हो गया था। ट्रेन की टिकट कैंसिल कराकर रुक गया। सीमा ने भी उन्हे निराश नहीं किया। आईपीएस मोहन मोदी अब सीमा के पति हैं।
देश के 3 राज्यों में 27 नाटकों के 280 से भी ज्यादा शो कर चुकी सीमा मोदी को यूपी की बहू के रूप में पुकारा जाता है। इस वक्त वो अपना पूरा फोकस अपने थिएटर आर्ट पर रख रही हैं। सीमा ने अपनी पर्सनल लाइफ का वो लम्हा शेयर किया है जो हर किसी के लिए स्पेशल होता है। सीमा ने बताया, मेरी बेसिक एजूकेशन झारखंड से हुई। मैंने बीए तक की पढ़ाई हजारीबाग से ही किया है। बात 1995 की है, मेरे आईपीएस पति मोहन मोदी अपनी शादी के लिए मेरे किसी रिश्तेदार घर आए थे। किसी कारण से शायद उन्हें लड़की पसंद नहीं आई। इसके बाद मुरादाबाद जानें के लिए स्टेशन पर पहुंचे तो जानकारी हुई, गाड़ी 6 घंटे लेट है।
मेरा घर स्टेशन के पास में ही था, तो मामा उन्हें लेकर घर आ गए। उस वक्त मैं बहुत ही ज्यादा चंचल स्वभाव की थी। मेरा पूरा घर म्यूजिकल माहौल में था। ढ़ोलक हॉरमोनियम सब व्यवस्था घर पर ही थी, क्योंकि मेरा शौक थिएटर और म्यूजिक था। मेहमान के आने के बाद मां ने कहा, जाओ पकौड़ी बनाओं। मैंने हंसते हुए कहा- मैं मेहमान नवाजी करूंगी, आप बनाओ। फिर मां पकौड़ी तलने लगी और मैं उनको खिलाने लगी। जब उनका पेट भरने लगा तो वो खाने से मना करने लगे। मैंने ही चुटकी लेते हुए बोल- मां अब मत बनाओ, मेहमान मना करने वाले हैं। सब हंसने लगे, मां ने मुझे डांटा भी। इसके बाद उन्होंने कहा- मुझे लगता है कुछ दिन यही रूक जाऊं। पापा ने कहा- किसने रोका है, तुम्हारा ही घर है। इसके बाद उन्होंने टिकट कैंसिल करवा दिया।
सीमा ने कहा,”अगली सुबह मैंने मोदी जी की फरमाइश पर मैंने एक भजन गाया ‘मोरा मन दपर्ण कहलाए’ जिसके बाद ही उन्होंने मेरी बहुत तारीफ की। मोहन ने मेरे मामा से बाहर आकर कहा- ‘मेरी अभी तक की लाइफ के ये 24 घंटे सबसे अच्छे रहे हैं। मैं ड्यूटी पर जा रहा हूं, लेकिन मेरी शादी सीमा से ही होगी, आप तैयारी कीजिए।
2 महीनों में ही हमारी शादी होनी थी, इस बीच उनका लेटर आया कि छुट्टी नहीं मिल पाएगी, इसलिए सब लोग मुरादाबाद आ जाओ। यहीं से शादी होगी। इसके बाद हम सब पूरी फैमिली के साथ मुरादाबाद ही आ गए, वहीं पर शादी हुई। आज भी मैं इनको कभी-कभी चिढ़ाती हूं कि मैं खुद बारात लेकर आई थी, क्योंकि मेरे पति के पास समय नहीं था। मैंने मुरादाबाद में रहकर ही एमए फिर हिस्ट्री से पीएचडी की और आज थिएटर के जरिए लड़कियों में कांफिडेंस डेवलप करने की थेरेपी पर काम कर रही हूं।

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