इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर संभाग के देवास जिले के सोनकच्छ के पुष्पगिरी तीर्थ पर पांच दिवसीय पंच कल्याणक महोत्सव चल रहा है। शुक्रवार को तीर्थ के प्रणेता आचार्य पुष्पदंतसागरजी महाराज अपने चार शिष्यों को आचार्य की पदवी से विभूषित करेंगे। इसके साथ ही पुष्पदंत सागर जी गणाचार्य हो जाएंगे। पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में भगवान आदिनाथ स्वामी, पदमप्रभु व मुनिसुब्रतनाथ भगवान की चांदी की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा होगी। साथ ही पुष्पगिरी तीर्थ प्रणेता आचार्यश्री पुष्पदन्तसागरजी महाराज के दीक्षा गुरु आचार्य विमलसागरजी महाराज की 1 क्विंटल वजनी अष्टधातु की प्रतिमा तीर्थ क्षेत्र पर लगाई जाएगी। 1 दिसंबर को प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में जैन मुनि प्रसन्न सागर जी को सम्मानित करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपना प्रतिनिधि भेजा है। पुष्पगिरि तीर्थ के संत पर्व सागरजी महाराज ने बताया कि ट्रंप की तरफ से उनके एडवायजर प्रोफेसर फीलिप जाधव प्रसन्न सागरजी का सम्मान किया। चूंकि प्रसन्न सागरजी अमेरिका नहीं जा सकते हैं, इसलिए अमेरिका सरकार ने सम्मान करने अपना प्रतिनिधि यहां भेजा है। जैन मुनि का सम्मान धार्मिक क्षेत्र में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों के लिए किया जा रहा है।

महोत्सव मे पहली बार चार मुनियों को एक साथ आचार्यश्री की पदवी मिलेगी। आचार्यश्री पुष्पदंत सागरजी महाराज द्वारा मुनि प्रसन्न सागर, प्रमुख सागर, राष्ट्रसंत पुलक सागरजी और प्रणाम सागर जी महाराज को आचार्यश्री की पदवी दी जाएगी।

जब किसी परमात्मा बनने वाली आत्मा का जन्म होता है, तब स्वर्ग से अष्ट कुमारियां भगवान बालक की मां की सेवा व गर्भ के शोधन के लिए धरा पर उतर आती है। …और आठ प्रकार से उनसे प्रश्न पूछती है। मां उन प्रश्नों का समाधान करती है। हर गर्भवती नारी की सेवा किस प्रकार करनी चाहिए इससे हमें यह संदेश मिलता है।

आचार्यश्रीरू जब संघ बडा होने लगता है तो जिम्मेदारियां सौंपी जाती है। कोई भी मुनि किसी अन्य को दीक्षा नहीं दे सकते। दीक्षा देने के अधिकार को आचार्य पद कहते हैं। इसलिए मैं अपने शिष्यों को आचार्य बना रहा हूं। ताकि वे अपने पास आने वाले संन्यासियों को दीक्षा दे सकें। मैं अपने शिष्य मुनि प्रसन्न सागर, प्रणाम सागर, प्रमुख सागर, पुलक सागर को 29 नवंबर को आचार्य पद से विभूषित किया गया।

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