भोपाल। मलाईदार जगहों पर पोस्टिंग पाना और उस जगह पर कई सालों तक पदस्थ रहने वाले आरक्षक से लेकर निरीक्षकों को जोर का झटका लगा है। अब अपनी मूल शाखा से दूसरी जगह पर आतंरिक प्रतिनियुक्ति सीधे नहीं हो सकेगी। प्रतिनियुक्ति का आदेश अब पुलिस मुख्यालय से जारी होगा। पुलिस मुख्यालय ने प्रतिनियुक्ति के आठ साल पुराने नियम को मंगलवार को निरस्त कर दिया है। साथ ही अब नए नियम के तहत आरक्षक से लेकर निरीक्षक तक की प्रतिनियुक्ति के अधिकार यूनिटों के मुखियाओं से छीन कर पुलिस मुख्यालय की प्रशासन को दिए गए हैं। यह प्रशासन शाखा से ही प्रतिनियुक्ति के संबंध में आदेश जारी होंगे।

ये बने नियम
आरक्षक से लेकर निरीक्षक तक की आंतरिक प्रतिनियुक्ति को लेकर मार्च 2013 में पुलिस मुख्यालय ने नियम बनाए थे। इस नियम के तहत प्रतिनियुक्ति स्वीकृत  पदों  के विरुद्ध की जाएगी। प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक कर्मचारी- अफसर अपनी शाखा या इकाई से अनुशंसा सहित आवेदन पुलिस मुख्यालय को भेजे जाएंगे। प्रशासन शाखा इन आवेदनों का परीक्षण करने के बाद प्रतिनियुक्ति के आदेश जारी करेगा। उपनिरीक्षक अपनी परिवीक्षा अवधि के कम से कम पांच साल बाद प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने के लिए पात्र होंगे।

पांच साल से ज्यादा नहीं रह सकेंगे
आतंरिक प्रतिनियुक्ति पहली बार तीस साल के लिए दी जाएगी। इसके बाद प्रतिनियुक्ति पाने वाले की मूल शाखा और प्रतिनियुक्ति वाली शाखा के प्रमुखों की सहमति से एक साल अवधि बढ़ाई जा सकती है। इसके बाद प्रशासन शाखा की अनुमति से विशेष प्रकरणों में एक साल की अवधि और बढाई जा सकती है। इसके बाद मूल ईकाई में वापस आना होगा। इसके बाद 3 साल तक प्रतिनियुक्ति नहीं दी जाएगी।

इनमें मानी जाती है आतंरिक प्रतिनियुक्ति
अजाक, विशेष शाखा, एससीआरबी, सायबर सेल, सीआईडी, हॉकफोर्स, एटीएस, एसटीएफ, नारकोटिक्स , प्रशिक्षण संस्थाएं, ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त में आतंरिक प्रतिनियुक्ति मानी जाती है।

वापस आएंगे पांच  साल पूरे करने वाले
आरक्षक से लेकर निरीक्षक आंतरिक प्रतिनियुक्ति पर पांच साल से ज्यादा से पदस्थ हैं, उन्हें अब मूल शाखा में जाना होगा। इसके चलते लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू और सायबर सेल में निरीक्षक से लेकर आरक्षक तक के कई लोग वापस अपने मूल यूनिट में वापस भेजे जा सकते हैं।  इन्हें अगले तीन साल तक प्रतिनियुक्ति नहीं दी जाएगी।

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