सागर |नागरिको के लिए यहराहत की बात है कि उनके विरूद्ध पंजीबद्ध किये गये छोटे अपराधिक मामलों में पुलिस उन्हें बगैर पर्याप्त कारणों एवं रूटीन में गिरफ्तार नहीं करेगी। पुलिस महानिरीक्षक सागर जोन श्री पंकज श्रीवास्तव द्वारा जोन के जिलों को पुनः निर्देशित किया गया है कि थानों पर पंजीबद्ध 07 वर्ष तक की दण्डावधि के अपराधों में संदेहियों की गिरफ्तारी दण्ड प्रक्रिया संहिता की संशोधित धारा के अनुसार की जाये। यदि एफ.आई.आर. में नाम लिखाने पर या विवेचना के दौरान बयानों में नाम आने पर किसी संदेही की गिरफ्तारी की जाना हो तो ऐसे संदेही को गिरफ्तार करने के कारणों को केस डायरी में उल्लेख करते हुये उसे गिरफ्तार किया जा सकेगा तथा केस डायरी एवं अभियुक्त दोनो को सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया जायेगा। भले ही अपराध जमानतीय हो।
इस प्रक्रिया से जनसामान्य को यह राहत होगी कि छोटे अपराधों में एफ.आई.आर. होने के तुरंत बाद गिरफ्तारी के पर्याप्त कारण न होते हुये लोगों को रूटीन में गिरफ्तार नहीं किया जायेगा। बल्कि उन्हें एक नोटिस देकर विवेचना में सहयोग करने के लिए बुलाया जायेगा।
यदि पुलिस किसी व्यक्ति को अपने सामने अपराध घटित करते समय गिरफ्तार करती है और यदि अपराध जमानतीय है तो पुलिस आरोपी को मौके से या थाने से जमानत पर छोड़ सकेगी। उदाहरण के तौर पर जुआ/सट्टा खिलाने वाले, अवैध शराब बेचते समय, अवैध शस्त्र लेकर चलते समय, पुलिस के सामने मारपीट करने वाले, रिश्वत लेते समय रंगे हाथ पकड़े जाने पर या शासकीय कार्य में बाधा पैदा करने वाले आरोपियों को पुलिस मौके से गिरफ्तार करके तथा यदि अपराध जमानतीय है तो थाने से या मौके से जमानत दे सकती है।
इस संशोधन से न केवल गिरफ्तार करके जमानत देने के कार्यो में लगे समय की बचत होगी बल्कि पुलिस अपना अधिक समय अपनी बीट पर दे सकेगी। ज्ञातव्य है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता में वर्ष 2010 से लागू इन संशोधनों को कड़ाई से लागू करने के लिये माननीय उच्चतम न्यायालय ने 2 जुलाई 2014 को अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य की क्रिमिनल अपील संख्या 1277/2014 में सभी राज्य सरकारों एवं उच्च न्यायालयों को भी विस्तृत निर्देश जारी किये है।

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