ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) सुनील कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय ने भिण्ड जिले के ऊमरी थाने में गैंती से हवलदार पर एक आरोपी ने हमला कर दिया था। गंभीर हालत में हलवदार को इलाज के लिए भिण्ड के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां से दिल्ली रेफर कर दिया था। दिल्ली में इलाज के दौरान हलवदार की मौत हो गई। कल शुक्रवार को न्यायालय ने आरोपी विष्णु राजावत निवासी लारौल थाना रौन जिला भिण्ड को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए पांच हजार रुपए का जुर्माना किया है।

मीडिया सेल प्रभारी एवं अतिरिक्त जिला अभियोजक इन्द्रेश कुमार प्रधान ने आज यहां बताया कि 9 सितंबर 2018 को देर शाम को थाना ऊमरी में पदस्थ आरक्षक मयंक दुबे थाने में स्थित प्रधान आरक्षक (एचसीएम) रूम में काम कर रहे थे। उसके पास वायरलैस सेट पर आरक्षक रामसहाय बैठे थे। एचसीएम उमेशबाबू बाजार में उत्पात मचाने वाले विष्णु राजावत पर धारा 151 के तहत कार्रवाई कर रहे थे। इसी दौरान विष्णु का दोस्त मानसिंह मिलने आया थे। दोनों ने आपस में बातचीत कर षडयंत्र रचकर कम्प्यूटर कक्ष के सामने बने बरामदा में काम कर रहे एचसीएम उमेशबाबू व पहरे पर तैनात संतरी आरक्षक गजराज सिंह पर जान से मारने की नियत से थाने में निर्माण कार्य के लिए रखी गैंती उठाकर उमेशबाबू के सिर में मारने के बाद संतरी गजराज के सिर में गैंती मारी, जिससे दोनों गिर गए। तथा उनके सिर से खून बहने लगा। उसके बाद आरोपी विष्णु संतरी की बंदूक लूटकर भागने लगा। आरक्षक मयंक दुबे, आरक्षक रामसहाय भागकर बाहर आए और चिल्लाते हुये आरोपी विष्णु के पीछे दौडे तब तक वह संतरी की 303 रायफल जिसमें पांच राउण्ड थे, लेकर ऊमरी बाजार की तरफ अंधेरे का फायदा उठाकर भागने लगे। लेकिन पुलिस ने आरोपी को पकड लिया। घायल एचसीएम उमेश बाबू एवं आरक्षक संतरी गजराज को इलाज के लिए डायल 100 गाडी से जिला अस्पताल भिण्ड लाया गया।

प्रकरण को राज्य शासन द्वारा जघन्य एवं सनसनीखेज के रूप में चिन्हित किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से समस्त मौखिक दस्तावेजी एवं वैज्ञानिक साक्ष्य विशेष लोक अभियोजक प्रवीण दीक्षित द्वारा प्रस्तुत की गई। प्रकरण में महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में थाना परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को न्यायालय के समक्ष अभियोजन द्वारा संदेह से परे प्रमाणित किया गया। जिस पर विशेष न्यायाधीश ने आरोपी विष्णु को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 5 हजार रुपए का जुर्माना किया है। जबकि मानसिंह को साक्ष्य में दोषमुक्त कर दिया है।

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