भोपाल। प्रदेश के दो महानगर भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने की अटकलों के बीच आईएएस अफसरों ने रणनीतिक चुप्पी साध ली है। अफसरों का मानना है कि चुनाव साल में यह मुद्दा नहीं बनना चाहिए। यही वजह है कि कोई भी आईएएस अधिकारी इस मामले में अभी तक सामने नहीं आया है।
बताया जा रहा है कि आईएएस अफसर इस मामले में जो भी बात रखनी है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने ही रखेंगे, ताकि यह संदेश न जाए कि प्रदेश में आईएएस और आईपीएस अधिकारी अपने अधिकारों को लेकर आमने-सामने आ गए हैं।
मंत्रालय में अधिकारियों के बीच पुलिस कमिश्नर प्रणाली चर्चा का सबब रही। जहां भी चार अधिकारी एकत्र हुए, वहां यह मुद्दा जरूर उठा। मुख्य सचिव स्तर के एक अधिकारी ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो या न हो, इस पर अंतिम फैसला तो मुख्यमंत्री करेंगे पर मुलजिम बताओ और सजा भी खुद दो, इस व्यवस्था को कैसे जायज ठहराया जा सकता है। पुलिस वाले अपराधी को पकड़ेंगे, उसे पुलिस के सामने ही प्रस्तुत करेंगे और पुलिस ही उसे सजा देगी।
मौजूदा व्यवस्था में पुलिस पकड़ती है और मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करती है। गुण-दोष के आधार पर कार्यवाही तय होती है। यह पारदर्शी और सभी जगह मान्य व्यवस्था है। एक प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पुलिस को क्या अभी अधिकार कम हैं। उसके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर ही तो कार्रवाई होती है।
गवाही कराने का काम पुलिस का होता है, जिसके आधार पर मजिस्ट्रेट फैसला करते हैं। अब यदि गवाही ही न हो और इसका ठीकरा मजिस्ट्रेट पर फोड़ा जाए तो इसे कैसे सही माना जा सकता है। कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री जो निर्देश लगातार दे रहे हैं, उनका पूरी तरह इमानदारी से पालन हो जाए तो कोई नई व्यवस्था बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
मुख्यमंत्री से मिलेंगे आईएएस अफसर
सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिन में कुछ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मुख्यमंत्री से इस मामले में मुलाकात कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि इसको लेकर मंत्रालय में कुछ अधिकारियों की बंद कमरा बैठक भी हुई है। आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन फिलहाल इस मामले से सार्वजनिक तौर पर दूरी बनाकर चल रहा है।