भोपाल ! मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने प्रदेश के सभी हवालातों की स्थिति की जांच पुलिस अधीक्षक द्वारा खुद करने और पुलिस मुख्यालय को प्रत्येक थाने की रिपोर्ट देने की अनुशंसा की हैं। आयोग ने कहा, कि यदि किसी हवालात में कोई कमी पाई जाती है, तो उन कर्मियों को आगामी तीन माह में सर्वोच्च प्राथमिकता से ठीक करायें। आयोग ने अनुशंसा में आयोग ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में पी.सी.आर. व एम.ओ. डब्लू के अंतर्गत स्वीकृत बजट में से पूरे राज्य की हवालातों को इस प्रकार से ठीक करने की हिदायत दी है, जिससे कैदी आत्महत्या न कर सके।
आयोग ने कहा है, कि गृह विभाग व पुलिस मुख्यालय को सूचना के बाद भी यदि किसी थाने में आत्महत्या की घटना होती है, तो उस समय ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के अलावा संबंधित थाने के थाना प्रभारी, अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक को भी जिम्मेदार ठहराया जाए। आयोग ने पुलिस महानिरीक्षकों को नियमित संबंधित थानों में निरीक्षण करने को कहा है।
इसके अलावा थाने में हिरासत प्रबंधन के लिये अलग से न्यूनतम चार कर्मचारियों का बल तैनात किये जाने की अनुशंसा करते हुए कहा है, कि ये कर्मचारी थाना प्रहरी से अलग होना चाहिये। हवालातों में सी.सी.टी.वी.. कैमरे इस प्रकार लगाये जाएं, कि प्रत्येक कर्मचारी, हवलदार, मोहर्रिर व थाना प्रभारी बंदी की हर हलचल पर नजर रख सके। साथ ही कम्बल आदि के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए। आयोग ने पुलिस हाउसिंग कोॅरपोरेशन हवालातों के डिजाइन पर भी गौर करते हुए कहा है, कि भविष्य में बनने वाले थानों में ऐसे प्रबंध किए जाएं कि बंद आरोपियों को आत्महत्या का कोई भी अवसर न मिल सके। थाने में शौचालय, नल फिटिंग, बिजली पर शोध कर नये डिजाइन हवालात के बनाये जाये। नये थानों के निर्माण की कीमत में सी.सी.टी.वी. कैमरों की कीमत भी जोड़ी जाए तथा हवालात के सामने हिरासत प्रबंधन के कर्मचारियों को बैठने के लिये पर्याप्त स्थान तय किया जाये। उल्लेखनीय है, कि आयोग ने यह अनुशंसायें पुलिस अभिरक्षा में तेंदूखेड़ा (नरसिंहपुर) के बंदी दुर्गेश कतिया द्वारा हवालात में फांसी लगाये जाने के प्रकरण के संदर्भ में की हैं। इस प्रकरण में न्यायिक मेजिस्ट्रेट ने जांच कर जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिये गये थे। मृतक दुर्गेश फटे हुए कंबल को रस्सी के रूप में तैयार कर हवालात के अंदर बिजली के होल्डर के कुंदे में फंसाकर फांसी लगा ली थी। इस घटना के लिए आरक्षक राकेश जाटव को बंदी दुर्गेश के मानव अधिकार हनन के लिये धारा 16 मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के अधीन कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था।

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