जहां साल में एक या दो बार पीरियड्स का जल्दी या लेट आना संभव है वहीं अगर ये लगातार हो रहा है तो इस समस्या के लिए तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए और सही जांच करवा लेनी चाहिए ताकि ऑवेल्यूशन में समस्या या किसी अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्या का पता लगाया जा सके। अधिकतर मामलो में सही डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट से पीरियड साइकल को ट्रैक पर लाया जा सकता है।ऐसे में महिलाओं की आम पीरियड साइकल 28 दिनों तक चलती है। इसमें 7 दिनों का बदलाव हो सकता है यानी पीरियड 7 दिन पहले भी आ सकता है और 7 दिन बाद में भी। नॉर्मल मेंस्ट्रुअल साइकल या पीरियड के दौरान अंडाणु ओवरी से रिलीज होते हैं। इस प्रोसेस को ऑव्युलेशन कहते हैं। अगर अंडाणु फर्टिलाइज नहीं होता है तो फिर हार्मोन लेवल में बदलवा होते हैं और शरीर को ये संकेत मिलता है कि उसे ब्लड और टिशू की परत जो यूट्रस में बन गई है उसे हटाना है। ये ब्लीडिंग आम तौर पर 4-5 दिन होती है और एक महीने बाद दोबारा रिपीट होती है। हालांकि, कई महिलाओं को एबनॉर्मल यूटरिन ब्लीडिंग होती है जो अनियमित पीरियड्स के लिए दूसरा टर्म है।
पीरियड ब्लीडिंग को अनियमित तभी कहा जाएगा जब-
1. ये 21 दिन से पहले रिपीट हो रही है। 2. ये 8 दिन से ज्यादा लंबी चल रही है। 3. ब्लीडिंग 90 दिनों के बाद भी न हो, यानी तीन पीरियड साइकल तक मिस हो जाए 4. पीरियड काफी अलग और बहुत दर्दनाक हों 5. पीरियड साइकल के बीच में भी स्पॉट पड़ जाएं 6. पीरियड्स आम तौर पर देरी से आएं, 35 दिन से ज्यादा हो जाएं तब दूसरी बार पीरियड आए।
परियड्स अनियमित होने के ये है कारण:
प्री-टीन या टीनएज की उम्र में जब वयस्क होने की ओर लड़की बढ़ती है, तब पीरियड साइकल में बदलाव हो सकता है क्योंकि पहले कुछ साल हार्मोनल बदलाव होते हैं। यही कारण है कि उस समय हर महीने शेड्यूल के हिसाब से पीरियड नहीं हो पाते हैं। – उम्र से ही जुड़ा दूसरा कारण मेनोपॉज हो सकता है। 45-55 की उम्र में मेनोपॉज होता है और ऐसे समय में पीरियड का मिस होना, कम होना या जरूरत से ज्यादा होना आम बात हो सकती है। – कुछ हार्मोनल गर्भनिरोधक जैसे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल या इंट्रायूट्राइन सिस्टम (intrauterine system (IUS)) भी इसका कारण हो सकता है कि पीरियड न हो या जरूरत से ज्यादा हो। – जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज, डाइटिंग, वजन बढ़ना या घटना पीरियड ब्लीडिंग का समय बदल सकता है। कई बार इसकी वजह से ब्लीडिंग रुक भी जाती है। मेडिकल कंडीशन जैसे Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) रेग्युलर पीरियड और ऑवेल्युशन के प्रोसेस में दिक्कत खड़ी कर सकते हैं।
– अगर स्ट्रेस है तो वो भी हार्मोनल बैलेंस बिगाड़ सकता है जिससे पीरियड मिस हो सकते हैं या फिर अनियमित पीरियड साइकल बन सकती है। – थायरॉइड डिसऑर्डर भी एक ऐसा कारण हो सकता है जिससे खून में थाइरॉइड हार्मोन बहुत ज्यादा बढ़ या घट जाता है। इससे पीरियड में दिक्कत होती है। – अन्य हेल्थ कंडीशन जैसे डायबिटीज, सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बीमारियां, फाइब्रॉइड्स और अन्य खाने-पीने से जुड़े डिसऑर्डर कई बार पीरियड साइकल को बिगाड़ सकते हैं। ये है बचाव: अगर पीरियड नहीं आया है या फिर अनियमित है तो वही पहला संकेत हो सकता है ये तय करने के लिए कि इंसान को मेडिकल चेकअप की जरूरत है। किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से इसके बारे में बात करें और अपनी समस्या के लिए सही ट्रीटमेंट शुरू करें। डॉक्टर निम्नलिखित बातें बता सकता है-
– संबंधित व्यक्ति को PCOS या PCOD तो नहीं – वो थायरॉइड डिसऑर्डर की जांच कर सकता है – वो महिलाएं जो मां बनना चाहें उन्हें ऑवेल्यूशन का टेस्ट करवा लेना चाहिए ताकि वो निश्चिंत हो सकें। मेडिकल टेस्ट और कंडीशन के आधार पर ही ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स दिए जा सकते हैं जो मेंस्ट्रुअल साइकल को सही करने में मदद करेंगे। अगर स्ट्रेस की वजह से अनियमित पीरियड हो रहे हैं तो स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक जैसे मेडिटेशन, योगा आदि किए जा सकते हैं। ओवर एक्सरसाइज और एक्सट्रीम डाइट से बचना चाहिए क्योंकि ये भी पीरियड साइकल में बदलाव का कारण हो सकते हैं।