ग्वालियर। पुलिस ने गजराराजा मेडीकल कॉलेज के वर्ष 2008 बैच के दो आरोपियों द्वारा कोर्ट में सरेण्डर किया गया था, जिन्हें न्यायालय के आदेश से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
पकड़े गये मुन्नाभाई छात्र मुकेश पुत्र बालक सिंह जाटव निवासी रामचन्द्र का पुरा तहसील जौरा जिला मुरैना और अतुलराज खटीक पुत्र करन सिंह निवासी रामनगर मुडिया पहाड़ गली नंबर चार नाका चन्द्रवदनी लश्कर ग्वालियर हैं। मुकेश ने पूछताछ में बताया कि उसके पिता जरेरू पहाडग़ढ़ में शिक्षक के पद पर पदस्थ है। उसने 10वीं वर्ष 2000 मेें तथा 12वीं वर्ष 2002 में की थी। इसके बाद उसनेे कैलारस से बीएससी किया था। बाद में पीएमटी की तैयारी के लिये चन्द्रवदनी नाका की गली नंबर 1 में रहने लगा था। वहां उसकी मुलाकात ज्ञान सिंह से हुई थी, जो कि 2007 बैच के गजराराजा मेडीकल कॉलेज के छात्र था। उसने उसे बोला कि ढाई लाख में तुम्हारा पीएमटी में एडमीशन हो जायेगा, तो उसने अपने पिता भारत सिंह से 10 हजार लेकर ज्ञान सिंह को एडवांस तौर पर दिये थे उसके बाद उसने अपना खाली फार्म और दो फोटो एवं 10वीं व 12वीं की मूल मार्कशीट ज्ञान सिंह को दे दी थी। ज्ञान सिंह ने उसका सेंटर इंदौर भरा था और उसका एडमिट कार्ड भी इंदौर में ही कहीं मंगाया था। इंदौर में उसका कोई रिश्तेदार नहीं है। उसेे नहीं मालूम कि इंदौर में किस पते पर एडमिट कार्ड बुलाया। वह 2008 में पीएमटी के एक्जाम में नहीं बैठा था। ज्ञान सिंह ने किसी और को उसकी जगह परीक्षा दिलवाई थी। बाद में ज्ञान सिंह का फोन आया था कि उसका पीएमटी में सिलेक्शन हो गया है। उसने भोपाल काउंसलिंग के पहले ज्ञान सिंह को बाकी के दो लाख 40 हजार दे दिये थे और उन्होंने उसे उसकी 10वीं एवं 12वीं की मूल मार्कशीट वापिस कर दी थी। वह काउंसलिंग में भोपाल गया था उसे गजराराजा मेडीकल कॉलेज एलाट हुआ था और उसने 2008 में ज्वाइन कर लिया था। वह अभी तक द्वितीय प्रोफ पास कर पाया है मेडीकल में तीन बार फेल हो चुका है।
दूसेर आरोपी अतुलराज खटीक ने पूछताछ में बताया कि उसके पिता ए.जी. ऑफिस में एकाउन्टेन्ट के पद पर पदस्थ हैं। उसने 10वीं की परीक्षा 2002 एवं 12वीं की परीक्षा 2004 में पास की थी। फिर वह पी.एम.टी. की तैयारी कर रहा था। उसके घर के पास में ही रविशंकर हॉस्टल है, जहां मेडीकल के छात्र रहते थे। वहां चाय की दुकान पर उसकी दोस्ती 2003 बैच के विनोद शाक्य निवासी सबलगढ़ से हो गई थी। विनोद शाक्य ने उससे बोला कि पैसे देकर बिना परीक्षा दिये पीएमटी में सिलेक्शन हो जाता है। विनोद शाक्य ने उसे अपने सीनियर राजेन्द्र आर्य से मिलवाया और राजेन्द्र आर्य ने उससे वर्ष 2008 में पीएमटी का फार्म और दो फोटो ली थी। उसका सेंटर उन्होंने रीवा भरा था। वह रीवा परीक्षा देने नहीं गया था। उसने अपने पिता करन सिंह से 50 हजार लेकर एडवांस में विनोद शाक्य को दिये थे। बाद में विनोद शाक्य ने बताया था कि उसका सिलेक्शन हो गया है तो उसने ढाई लाख वहीं रविशंकर हॉस्टल के बाहर राजेन्द्र आर्य को दिये थे। वह रूपया भी उसने अपने पिता से लेकर दिया था। उसके 10वीं और 12वीं की मार्कशीट राजेन्द्र आर्य ने रख ली थी जो उसे काउंसलिंग के पहले दे दी थी। काउंसलिंग के बाद उसने 50 हजार रुपये भी राजेन्द्र आर्य को दे दिये थे। इस तरह से उसने साढ़े तीन लाख रुपये विनोद शाक्य और राजेन्द्र आर्य को दिये थे और बिना परीक्षा दिये उसका पीएमटी में सिलेक्शन हो गया और उसने गजराराजा मेडीकल कॉलेज के वर्ष 2008 बेच में ज्वाइन कर लिया था। वह अभी तक द्वितीय प्रोफ में ही आ पाया है।

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