ग्वालियर। 30 दिन की बजाए अगले माह से पासपोर्ट अब 3 दिन में आपके हाथ में होगा। क्योंकि आवेदनकर्ता के घर जाकर पासपोर्ट के वेरिफिकेशन के लिए जिले के प्रत्येक थाने को अप्रैल माह में पुलिस मुख्यालय से टैबलेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिए इंदौर व जबलपुर पुलिस को टैबलेट उपलब्ध करा दिए गए हैं। इंदौर में आवेदन के 7 दिन में पासपोर्ट आवेदनकर्ता के हाथ में होता है।

अभी 21 दिन में पुलिस वेरिफिकेशन

पासपोर्ट के लिए ऑन लाइन आवेदन के बाद पुलिस वेरिफिकेशन के लिए पासपोर्ट सेल में आता है। पासपोर्ट सेल से आवेदनकर्ता के संबंधित थाने में वेरिफिकेशन के लिए भेजा जाता है। वेरिफिकेशन के लिए बीट का हवलदार आवेदनकर्ता के घर पहुंचता है। जहां आवेदनकर्ता ऑन लाइन भरी जानकारी की तस्दीक करने के साथ आपराधिक रिकॉर्ड भी खंगाला जाता है और उसके बाद गवाह के कथन भी लिए जाते हैं। इस प्रक्रिया के लिए पुलिस को 21 दिन का समय मिलता है। इस अवधि में पुलिस को वेरिफिकेशन भेजना अनिवार्य होता है। कई बार आवेदनकर्ता या फिर घर का पता नहीं मिलने पर इससे भी अधिक समय लग जाता है।

पासपोर्ट के वेरिफिकेशन के लिए पुलिस मुख्यालय से प्रत्येक थाने को ऑन लाइन वेरिफिकिशन के लिए टैब उपलब्ध कराए जा रहे हैं। टैबलेट मिलने के बाद वेरिफिकेशन के लिए विवेचना का अधिकारी टैबलेट लेकर आवेदनकर्ता के पते पर पहुंचेगा। मौके पर ही एप में वेरिफिकेशन के संबंध में दिए गए कॉलम भरकर सेंड कर देगा, जिससे 21 दिन में होने वाला वेरिफिकेशन 24 घंटे में होकर पासपोर्ट ऑफिस के दफ्तर के कम्प्यूटर पर पहुंच जाएगा। टैबलेट पर ही गवाह के कथन डालने होंगे।

इंदौैर-जबलपुर को मिले टैब: पुलिस वेरिफिकेशन टैबलेट पर करने के लिए इंदौर व जबलपुर पुलिस को टैबलेट मिल गए हैं। इंदौर में अब पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वालों को 30 दिन का लंबा इंतजार करने की बजाए केवल 3 दिन में पासपोर्ट मिल रहा है।

जिला पुलिस को अप्रैल में मिलेंगे टैब : संभावना है कि इंदौर व जबलपुर के बाद ग्वालियर पुलिस को पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए टैबलेट अप्रैल माह में उपलब्ध करा दिए जाएंगें। शुरूआती दिक्कतों के बाद जिले में पासपोर्ट 3 से 5 दिन बन सकेगा।

टैब मिलने से ये होगी आसानी: टैब मिलने से पुलिस वेरिफिकेशन के लिए की जाने वाली कागजी कार्रवाई से निजात मिलेगी और वेरिफिकेशन के लिए एकत्रित की जाने वाली जानकारी जुटा कर आवेदनकर्ता के घर से सेंड की जा सकेगी। इस एप से जिले के पासपोर्ट सेल की भूमिका गौण हो जाएगी। थाने सीधे पासपोर्ट दफ्तर से जुड़ जाएंगें।

ये आएगी परेशानी: वर्तमान में जिले में सीसीटीएनएस व्यवस्था होने के बाद जिले के 60 प्रतिशत से अधिक स्टाफ कम्प्यूटर पर काम करने की मानसिकता नहीं बना पाया है। टैबलेट लेकर वेरिफिकेशन के लिए जाने पर पुलिस अधिकारी व जवान को कम्प्यूटर व नेट की जानकारी होना अनिवार्य है। ताकि वह टैबलेट को आसानी से ऑपरेट कर सके। लेकिन अभी तक पुलिस के जवान कम्प्यूटर फ्रेंडली नहीं हुए हैं। जिसके कारण इंदौर में भी टैबलेट चलाने के लिए एक जवान को उनके साथ भेजना पड़ रहा है।

600 से 700 प्रतिमाह पासपोर्ट के लिए वेरिफिकेशन कराए जाते हैं: जिला पासपोर्ट सेल से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिमाह 600 से 700 से वेरिफिकेशन कराए जाते हैं। ये वेरिफिकेशन 21 दिन में करकर भेजना अनिवार्य है। 70 से 80 प्रतिशत वेरिफिकेशन इस अवधि में हो जाते हैं। शेष बचे वेरिफिकेशन आवेदनकर्ता के नहीं मिलने पर घर का पते में कोई गडबड़ी होने पर विलंब होता है। ये अवधि निकलने के बाद आवेदनकर्ता जिला पासपोर्ट सेल से संपर्क करता है तो उससे फिर से एक सादा कागज पर प्रार्थना पत्र लेकर वेरिफिकेशन कराया जाता है।

इनका कहना है

इस सिस्टम के लिए प्रदेश के बड़े महानगरों को चिन्हित किया गया है। जिसमें ग्वालियर भी शामिल है। ये व्यवस्था जल्द ही जिले में शुरू हो जाएगी।

डॉ. आशीष एसएसपी

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