अपहरण, सेंसरशिप और वित्तीय तौर पर बर्बादी का सामने करते हुए पाकिस्तानी पत्रकारों का कहना है कि देश भर में होने चुनावों से पहले उन पर अथॉरिटियों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष अफजल बट्ट का कहना है कि जैसी सैंसरशिप का सामना हम लोग आज कर रहे हैं, वैसी पहले कभी नहीं हुई।
पाकिस्तान पत्रकारों और एक्टिविस्टों के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है, पहले भी उन पर कई तरह के प्रतिबंध रहे हैं, लेकिन ऐसा दबाव पहले कभी नहीं देखा गया।
पाकिस्तान के सबसे बड़े ब्रॉडकास्टर जियो टीवी को इस साल आंशिक रूप से ऑफ एयर का सामना करना पड़ा। कहा जा रहा है कि यह तब तक जारी रहा, जब तक इसने अपनी कवरेज को उनके हिसाब से नहीं किया। पाकिस्तान के सबसे बड़े अखबार द डॉन का कहना है कि इसके खरीदारों को धमकाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि ऐसा तब से हो रहा है, जब से डॉन ने पाक के पूर्व पीएम शरीफ ने मुंबई हमलों में पाकिस्तानी आतंकियों के होने की बात कही है।
पाकिस्तान के सबसे बड़े मीडिया हाउस पर ऐसा दबाव एक खास संकेत है। द न्यूज के पत्रकार वसीम अब्बासी का कहना है, ‘अन्य आउटलेट्स के पास कोई मौका नहीं है। इसलिए वे सब भी एक पंक्ति में आ रहे हैं।’ एक राजनयिक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘साफ तौर पर यह मीडिया को कुचलने की कोशिश है। यह गहरी चिंता का विषय है।’