मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिये अस्थि विसर्जन किया जाता है लेकिन कई मृतक ऐसे भी होते हैं जिनका अंतिम संस्कार करने के लिये कोई परिजन नहीं होता। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इन लावारिस अस्थियों का विसर्जन नहीं होने से उनकी मुक्ति का रास्ता नहीं खुलता। भोपाल निवासी रामकुमार पासी ने भदभदा विश्राम घाट से मिली ऐसी 103 अस्थियों को इलाहाबाद गंगा त्रिवेणी में प्रवाहित कर उनका तर्पण किया और अब मध्यप्रदेश के विभिन्न विश्रामघाटों में रखी हुई लावारिस अस्थियों के साथ ही पाकिस्तान में रखी हुई 240 हिन्दुओं की अस्थियों को हिन्दुस्तान लाकर उन्हें गंगा में प्रवाहित करने की योजना है।
उक्त जानकारी जन भारती सेवा संस्कृति एवं कल्याण समिति के अध्यक्ष रामकुमार पासी सचिव प्रकाश वर्मा एवं संरक्षक अनिल श्रीवास्तव एवं मनोज कौशल ने रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में संवाददाताओं से बातचीत करते हुये दी। हरदा जिले की खिरकिया नगर पालिका के सहायक राजस्व निरीक्षक रामकुमार पासी ने कहा कि राजधानी से प्रकाशित समाचार पत्रों में छापे लावारिस अस्थियों के समाचार पढ़कर प्रेरणा मिली और तभी से ऐसी अस्थियों को एकत्र कर इलाहबाद की त्रिवेणी में प्रवाहित करने के कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजधानी के छोला भदभदा सुभाषनगर बैरागढ़ समेत प्रदेश के कई विश्रामघाटों पर पन्द्रह बीस साल से ऐसी लावारिस अस्थियां रखी हुई है तब मैंने विश्रामघाटों के प्रबंधकों को पत्र लिखकर अपनी इच्छा बताई तो भदभदा विश्रामघाट समिति ने मुझे 103 अस्थियां दी।
उक्त जानकारी जन भारती सेवा संस्कृति एवं कल्याण समिति के अध्यक्ष रामकुमार पासी सचिव प्रकाश वर्मा एवं संरक्षक अनिल श्रीवास्तव एवं मनोज कौशल ने रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में संवाददाताओं से बातचीत करते हुये दी। हरदा जिले की खिरकिया नगर पालिका के सहायक राजस्व निरीक्षक रामकुमार पासी ने कहा कि राजधानी से प्रकाशित समाचार पत्रों में छापे लावारिस अस्थियों के समाचार पढ़कर प्रेरणा मिली और तभी से ऐसी अस्थियों को एकत्र कर इलाहबाद की त्रिवेणी में प्रवाहित करने के कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजधानी के छोला भदभदा सुभाषनगर बैरागढ़ समेत प्रदेश के कई विश्रामघाटों पर पन्द्रह बीस साल से ऐसी लावारिस अस्थियां रखी हुई है तब मैंने विश्रामघाटों के प्रबंधकों को पत्र लिखकर अपनी इच्छा बताई तो भदभदा विश्रामघाट समिति ने मुझे 103 अस्थियां दी।
श्री पासी ने बताया कि उन 103 अस्थियों को विश्रामघाट परिसर में दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजली दी तथा उन्हें अक्टूबर 2012 को इलाहाबाद गंगा तट पर विधि विधान से उन अस्थियों को पवित्र गंगा नदी में विसर्जित किया तथा तर्पणए गौदानए बालदान मृत्युभोज एवं शांति यज्ञ किया।
श्री पासी ने बताया कि पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दुओं से उन्हें जानकारी मिली है कि वहां पर लगभग 240 ऐसी लावारिस अस्थियां रखी हुई हैं। इसके लिये 28 अक्टूबर 2012 को पाकिस्तान के उच्चायोग को पत्र लिखकर एवं ईमेल भेजकर अनुमति मांगी है कि उन अस्थियों को हिन्दुस्तान लाकर उन्हें गंगा नदी में प्रवाहित किया जाये।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के विश्राम घाटों पर भी सैकड़ों लावारिस अस्थियां रखी हुई है उन्होंने प्रदेश के मु यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि वे जिला कलेक्टरों को आदेश दें कि ऐसी अस्थियों को श्श्जन भारती सेवा संस्कृति समिति को सौंपी जायें ताकि उनका समानपूर्वक विसर्जन विधि विधान से हो सके।
श्री पासी ने बताया कि अब तक कई लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार भी कर चुके है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में किसी की मौत होने पर भी वह स्वयं के खर्चे पर अंतिम संस्कार से लेकर अस्थि विसर्जन और तेरहवीं तक करवाते हैं।
श्री पासी ने बताया कि हिन्दु संस्कृति में गर्भाधान संस्कार से मृत्यु पर्यन्त सोलह संस्कार होते है। जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त अन्य संस्कार जबकि मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार ;दाह संस्कारद्ध का विधान है इसके बाद दिवगंत आत्मा की शांति और मुक्ति के लिये अस्थियों को शांति सद्गति मुक्ति और संतुष्टि के लिये पिंडदान पितृ पूजन आदि का विधान है हिन्दू मान्यता के अनुसार दिवंगत व्यक्ति की अस्थियां प्रवाहित करने और तेरहवी भोज के बाद ही उसे मुक्ति मिलती है तब तक आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती है और भटकती रहती है।
श्री पासी ने बताया कि पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दुओं से उन्हें जानकारी मिली है कि वहां पर लगभग 240 ऐसी लावारिस अस्थियां रखी हुई हैं। इसके लिये 28 अक्टूबर 2012 को पाकिस्तान के उच्चायोग को पत्र लिखकर एवं ईमेल भेजकर अनुमति मांगी है कि उन अस्थियों को हिन्दुस्तान लाकर उन्हें गंगा नदी में प्रवाहित किया जाये।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के विश्राम घाटों पर भी सैकड़ों लावारिस अस्थियां रखी हुई है उन्होंने प्रदेश के मु यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि वे जिला कलेक्टरों को आदेश दें कि ऐसी अस्थियों को श्श्जन भारती सेवा संस्कृति समिति को सौंपी जायें ताकि उनका समानपूर्वक विसर्जन विधि विधान से हो सके।
श्री पासी ने बताया कि अब तक कई लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार भी कर चुके है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में किसी की मौत होने पर भी वह स्वयं के खर्चे पर अंतिम संस्कार से लेकर अस्थि विसर्जन और तेरहवीं तक करवाते हैं।
श्री पासी ने बताया कि हिन्दु संस्कृति में गर्भाधान संस्कार से मृत्यु पर्यन्त सोलह संस्कार होते है। जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त अन्य संस्कार जबकि मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार ;दाह संस्कारद्ध का विधान है इसके बाद दिवगंत आत्मा की शांति और मुक्ति के लिये अस्थियों को शांति सद्गति मुक्ति और संतुष्टि के लिये पिंडदान पितृ पूजन आदि का विधान है हिन्दू मान्यता के अनुसार दिवंगत व्यक्ति की अस्थियां प्रवाहित करने और तेरहवी भोज के बाद ही उसे मुक्ति मिलती है तब तक आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती है और भटकती रहती है।
हमारे इस प्रस्ताव में एसके सारस्वत अध्यक्ष एवं डॉण् शंकरलाल पाटीदार उपाध्यक्ष भदभदा विश्राम घाट समिति भोपालए कोलार हिन्दू उत्सव समिति के सचिव रविन्द्र यति कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेन्द्र सोलंकी ने विशेष सहयोग प्रदान किया है आगे भी करते रहेंगे।