अमृतसर। पाकिस्तान में मृत्युदंड की सजा का सामना कर रहे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह साथी कैदियों के हमले में बुरी तरह जख्मी होकर कोमा की स्थिति में हैं। उन्हें लेकर उनके पारिवारिक सदस्य बेहद चिंतित हैं। परिजनों ने उनकी देखभाल के लिए तुरंत पाकिस्तान जाने की इच्छा जताई है। उधर, सरबजीत के परिवार के एक सदस्य को वीजा मिल गया है। इसी के साथ परिवार के एक सदस्य को अस्पताल में रहने की भी इजाजत मिल गई है।
पंजाब में सरबजीत के परिवार वालों ने शनिवार को कहा कि वे सरबजीत की देखरेख के लिए तत्काल पाकिस्तान जाना चाहते हैं। सरबजीत की बहन दलबीर कौर, पत्नी और दो बेटियां पैतृक कस्बे भीखीविंड से शनिवार सुबह अमृतसर पहुंचीं।
सरबजीत की रिहाई के अभियान की अगुवाई कर रहीं दलबीर कौर ने कहा कि हम इस मुश्किल घड़ी में सरबजीत के पास होना चाहते हैं। हमें यह भी नहीं पता कि इस समय उनकी हालत कैसी है। हमें केवल मीडिया और उनके वकील के जरिए जानकारी मिल रही है।
सरबजीत का परिवार शुक्रवार की शाम उनके बुरी तरह जख्मी होने की खबर सुनकर घबरा गया। गौरतलब है कि कोट लखपत जेल में बंद सरबजीत पर साथी कैदियों ने शुक्रवार को हमला कर दिया था। जिसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे। सरबजीत को लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सरबजीत पर हमले का कारण अभी अज्ञात है। डॉक्टर उनकी जिंदगी बचाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों के शनिवार को सरबजीत से मिलने की उम्मीद है।
दलबीर कौर ने आरोप लगाया कि सरबजीत पर हुआ हमला पूरी तरह सुनियोजित है। उन्होंने कहा कि कुछ कैदी उन्हें धमका रहे थे। यह एक षडयंत्र है, उन पर जानबूझकर हमला किया गया है। उन्हें सुरक्षा क्यों प्रदान नहीं की गई। मैं तत्काल पाकिस्तान जाना चाहती हूं।
उन्होंने कहा कि अगर हमारी सरकार ने जरूरी कदम उठाए होते तो यह हमला नहीं हुआ होता। मैंने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और विदेश राज्य मंत्री परिनीत कौर और अन्य को पत्र के जरिए अवगत कराया था कि सरबजीत पर हमला हो सकता है। लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया और सरबजीत पर हमले की घटना हुई है।
पाकिस्तान के मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता और सरबजीत की रिहाई के लिए उच्चस्तर पर प्रयासरत अंसार बर्नी ने कहा कि हमला ‘संदिग्ध’ लगता है। बर्नी ने कराची में मीडिया को दिए बयान में कहा कि हमला संदिग्ध लगता है। कोई इस घटना के पीछे हो सकता है। सरबजीत को जहां रखा गया था वहां ईंट या अन्य सामान नहीं पहुंच सकता है। इसकी पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए।
नई दिल्ली में अधिकारियों ने बताया कि भारतीय उच्चायोग ने सभी जरूरी चिकित्सा सेवा और अन्य सहयोग मुहैया कराने के लिए पाकिस्तान सरकार से अपील की है। पाकिस्तानी अदालत ने सरबजीत को लाहौर और मुल्तान बम विस्फोटों का कसूरवार ठहराते हुए 1990 में फांसी की सजा सुनाई थी। लाहौर और मुल्तान में हुए विस्फोटों में 14 लोग मारे गए थे।
वहीं सरबजीत के परिवार ने दावा किया कि वह गलती से 1990 में पाकिस्तान की सरहद में चला गया था और वहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वह पूरी तरह निर्दोष है। लेकिन पाकिस्तानी पुलिस ने दावा किया कि सरबजीत सिंह, जो कि पाकिस्तान में मंजीत सिह के तौर पर जाना जाता है, आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त था।