ग्वालियर। मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के भिण्ड जिले के गोहद तहसील मुख्यालय के वार्ड नम्बर 14 एक वृद्ध दंपति में इतना अधिक प्रेम था कि एक दूसरे कभी अकेले नहीं रहे। एक साथ कहीं भी बाना-जाना एक ही कमरे में सोना इसका नतीजा ये हुआ कि पति की मौत को पति अर्दाश्त नहीं कर सका और पत्नी की उठावनी में पत्नी की तस्वीर के सामने पति ने भी अपने प्राण त्याग दिए।
भिण्ड जिले के गोहद के वार्ड नम्बर 14 निवासी शिवचरन लाल गुप्ता 75 वर्ष की धर्मपत्नी श्रीमती केलादेवी 70 वर्ष का 11 सितंबर को निधन हो गया था। कल तीन बजे गोहद के चक्रधारी मैरिज हॉल में उनकी उठावनी थी। इसमें उनके सभी नाते रिश्तेदार और मित्र एकत्रित हुए थे। उठावनी में शिवचरनलाल अपनी पत्नी कैलादेवी की तस्वीर के सामने बैठे हुए थे। वृद्ध शिवचरन अपनी पत्नी की तस्वीर को एकटक निहार रहे थे। तभी उन्होंने पत्नी की तस्वीर के सामने ही अपने प्राण त्याग दिए। उठावनी में मौजूद लोग आश्चर्य चकित रह गए। कस्बे में इस तरह की पहली घटना होने से जहां गुप्ता परिवार सहित पूरे कस्बे में शोक है। वहीं शिवचरन लाल और कैलादेवी के अटूट प्रेम की कहानी की खूब चर्चा हो रही है।
मृत दंपति के पुत्र राधेश्याम गुप्ता ने आज यहां बताया कि उनकी मां कैलादेवी मुरैना की रहने वाली हैं। वर्ष 1967 में दोनों का विवाह हुआ था। उनकी मां कैलादेवी पिता शिवचरन लाल के खाना खाने से पहले जल भी ग्रहण नहीं करती थी। वहीं पिताजी भी मां से बेहद प्रेम करते थे। पिता भी मां से बिना पूछे कोई कार्य नहीं करते थे। दोनों के बीच गृहस्थी संभालने का बहुत अच्छा तालमेल था। कुछ दिनों पहले ही दोनों लोग रामेश्वरम से जल चढ़ाकर लौटे थे। मां की मौत के बाद पिताजी को गहरा सदमा पहुंचा। वे गुमसुम रहने लगे थे। आज मां की उठावनी में वे भी छोड़कर चले गए।
शिवचरन लाल गुप्ता और कैलादेवी के तीन बेटे लक्ष्मीनारायण, राधेश्याम, राजकुमार खनिज निरीक्षक खंडवा व एक बेटी ममता सहित भरा पूरा परिवार है। माता पिता के अचानक निधन के बाद पूरा परिवार शोकजदा है। परिवार वालों ने बताया कि शिवचरन सुबह से ही काफी जल्दबाजी कर रहे थे। पल-पल पर एक ही बात कह रहे थे कि उठावनी का समय होने वाला है। सभी रिश्तेदार आने वाले हैं। जल्दी काम कर लो। वे जैसे ही उठावनी में चक्रधारी मैरिज हॉल पहुंचे और कैलादेवी की तस्वीर देखी वैसे ही एकदम शांत हो गए और वहीं बैठकर तस्वीर देखने लगे। परिवार वालों की मानें तो शिवचरन और कैलादेवी पिछले 50 साल में कभी भी एक दिन अलग नहीं रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *