भोपाल। मुख्यमंत्री बनने के बाद सोमवार को पहली बार मंत्रालय पहुंचे कमलनाथ ने अधिकारियों के साथ पहली ही बैठक में कामकाज में बदलाव लाने का संदेश दे दिया।
करीब तीस मिनट चली बैठक में उन्होंने कहा कि पुराना ढर्रा अब नहीं चलेगा। पंचायत, ब्लॉक, तहसील और जिले में होने वाले काम के लिए कोई मंत्रालय के चक्कर लगाए, यह बर्दाश्त नहीं करूंगा। इशारों-इशारों में अधिकारियों पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आप अचीवमेंट (उपलब्धि) और मैें फुलफिलमेंट (संतुष्टि) के लिए काम करता हूं। प्रदेश में डिलीवरी सिस्टम फेल है। जो गैरजरूरी योजनाएं हैं, उन्हें बंद करें। बैठक में ही उन्होंने मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को कांग्रेस का वचन पत्र सौंपा और कहा कि चिंतन करें और सभी विभाग रोडमैप बनाएं। हम जल्द ही विभागवार बैठकें करेंगे।
बैठक में मुख्यमंत्री ने ब्यूरोक्रेसी को व्यवहार में बदलाव लाने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में बदलाव हुआ है। मैं प्रश्न पूछता चाहता हूं कि आपमें बदलाव हुआ है। व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। आउट ऑफ बॉक्स जाकर सोचना होगा। नए नजरिए से चीजों को देखना होगा। अपने आपमें और सोच बदलनी होगी। जो काम जिसका है, उसे ही करना चाहिए। जो काम नीचे के स्तर पर हो सकता है, उसके लिए कोई मंत्रालय क्यों आए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासियों को बहुत अपेक्षाएं हैं। मतदाताओं में आशा जागी है। कैसे बचत की जा सकती है, विभाग सोचें। ऐसी योजनाएं जो 80 से 90 फीसदी पूरी हो चुकी हैं या फिर गैरजरूरी हैं, उन्हें बंद करें। यह सोचना होगा कि निवेश कैसे आए। सिर्फ नीतियों और मांगने से निवेश नहीं आता। निवेश को आकर्षित करना पड़ेगा।
बैठक में मुख्यमंत्री ने युवाओं पर सबसे ज्यादा फोकस किया। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग नेताओं ने तो बिना इंटरनेट के जीवन गुजार लिया पर अब युवाओं की सोच अलग है। पहले सभी सरकारी नौकरी में रोजगार ढूंढते थे पर अब माहौल बदला है। रोजगार प्राप्त और बेरोजगारों के बीच की खाई भी चुनौती है। युवाओं में आगे बढ़ने की तड़प है। मध्यप्रदेश के भविष्य का निर्माण युवा ही करेंगे। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या सुविधा दी जा सकती है, देखें।
अधिकारी अपने विभाग को मजबूत बनाएं। सिर्फ मुख्यमंत्री का कार्यालय की शक्तिशाली न हो। शक्ति का विकेंद्रीकरण जरूरी है। पंचायत से लेकर मंत्रालय तक परिवर्तन लाना होगा। कौन-से ऐसे विभाग हैं, जिन्हें सक्षम बनाने की जरूरत है और ऐसे कौन से विभाग हैं, जिन्हें बंद करना ठीक होगा। इस पर भी सोचें। कई निगम-मंडल सजावटी बन गए हैं। इनमें फिजूलखर्ची होती है।

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