नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते हैं कमलनाथ, डाॅं. गोविन्द सिंह को किया किनारे
भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सभी पदों पर कमलनाथ ने एकाधिकार कर लिया है। प्रदेश अध्यक्ष पद के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ही बने और अब जबकि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाम की बात आई है तो इस पद पर भी किसी और की दावेदारी को खत्म करने के लिए कमलनाथ ने अपना नाम आगे बढ़ा दिया है। कमलनाथ अब निर्णय अपने बलबूते पर ही लेंगे। दिग्विजय सिंह पर हद से ज्यादा विश्वास किया तो उनको अपना मुख्यमंत्री पद गंवाना पडा। अब वह उन पर व उनके समर्थकों पर ज्यादा भरोसा नहीं करेंगे।
विधानसभा के मानसून सत्र के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है। कांग्रेस पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का नाम तय करना है। कहने के लिए नेता प्रतिपक्ष का नाम हाईकमान तय करेगा लेकिन सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के फाइनल डिसीजन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ लेते हैं। इन दिनों उनके फैसलों पर दिल्ली सवाल नहीं करती।
कांग्रेस के विधायक दल को देखें तो नेता प्रतिपक्ष के लिए डॉक्टर गोविंद सिंह से बेहतर कोई नाम नहीं है। डॉक्टर गोविंद सिंह ना केवल सीनियर हैं और अनुभवी हैं बल्कि उनके अंदर सरकार की घेराबंदी करने के गुण भी है। वह कांग्रेस विधायक दल का नया चेहरा उतरते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि विधानसभा के भीतर सरकार की घेराबंदी करने में डॉक्टर गोविंद सिंह काफी सफल हो सकते हैं।
डॉक्टर गोविंद सिंह का नाम सामने आते ही कांग्रेस पार्टी में सभी प्रमुख पदों पर कमलनाथ का कब्जा बरकरार रखने की कोशिश शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी का चेहरा कमलनाथ होंगे इसलिए नेता प्रतिपक्ष भी उन्हें ही होना चाहिए। हालांकि इस दलील के पीछे कोई लॉजिक नहीं है। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उपचुनाव में पार्टी का चेहरा कमलनाथ ही होंगे लेकिन फिर भी नेता प्रतिपक्ष के पद पर डॉक्टर गोविंद सिंह को बिठाकर कमलनाथ विधायक दल के सामने अपना विकल्प पेश नहीं करना चाहते हैं। बॉलीवुड जैसा नेपोटिज्म और उस को सफल बनाने की साजिश राजनीति में भी होती है।