जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर हाई कोर्ट ने कोरोना बीमारी के इलाज को लेकर निजी अस्पतालों पर तल्ख टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने उस याचिका की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की, जिसमें शाजापुर के एक निजी अस्पताल ने पैसे ना चुकाने पर 80 वर्ष के एक बुजुर्ग को पलंग से बांध दिया था. सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल डॉ. अश्वनी कुमार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को पत्र भेजकर शाजापुर के निजी अस्पताल में बिल का भुगतान न होने पर एक बुजुर्ग को बंधक बनाकर रखे जाने का आरोप लगाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को भेजा था और यहां इसकी सुनवाई जनहित याचिका पर के रूप में की जा रही है.
याचिका की सुनवाई के दौरान दो हस्तक्षेप याचिकाएं भी दायर कर दी गईं. यह हस्तक्षेप याचिकाएं कोरोना के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा इलाज की दरों के निर्धारण और राज्य सरकार द्वारा इस मसले पर गाइडलाइन बनाने के लिए दायर की गई हैं. सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस सुजय पाॅल की युगल पीठ ने निजी अस्पतालों को लेकर टिप्पणी की है. वहीं अदालत मित्र के सुझाव पर राज्य सरकार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन से अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट निजी अस्पतालों के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने की मंशा रखता है. अदालत का मानना है कि पैसों के अभाव में कोई भी मरीज इलाज से ना वंचित हो इस और सरकार दिशा निर्देश तैयार करें. इस पूरे मामले में अधिवक्ता नमन नागरथ अदालत मित्र के रुप में अपने सुझाव दे रहे हैं. पूरे मामले पर अगली सुनवाई आने वाले सोमवार यानी 7 सितंबर को नियत की गई है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर अश्विनी कुमार ने इस घटना पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को 8 जून को एक पत्र लिखा था. सुप्रीम कोर्ट ने ये पत्र मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को भेजा था जिसे चीफ जस्टिस ए के मित्तल ने जनहित याचिका के रुप में स्वीकार कर लिया था. मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वकीलों ने कोर्ट में बताया कि मामले में संबंधित निजी अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है और पीड़ित मरीज को अस्पताल से रिहा भी करवाया जा चुका है. ऐसे में हाईकोर्ट ने पूरे घटनाक्रम पर केन्द्र और राज्य सरकार सहित शाजापुर के कलेक्टर-सीएमएचओ से मामले में अब तक की गई कार्यवाई की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी.