नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नेशनल एरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा के नाम पर एक धातु बेचने के बहाने ठगी करने के आरोप में एक पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया है. दोनों पीड़ित से बिल्कुल नासा के साइंटिस्ट की तरह मिले और उन्होंने उस वक्त एस्ट्रोनॉट शूट भी पहना हुआ था.

टिप्पणियां पुलिस ने दोनों की गिरफ्तार कर लिया है. एस्ट्रोनॉट शूट पहनने वाले यह लोग न तो नासा से जुड़े हैं और न ही कोई वैज्ञानिक हैं, लेकिन इसी शूट को पहनकर इन लोगों ने दिल्ली के एक गारमेंट एक्सपोर्टर को राइस पुलर नाम का एक मेटल बेचने का झांसा दिया. कारोबारी को बताया कि आरपी मेटल चावल को अपने आप अपनी तरफ खींचता है और ये मेटल नासा में 37500 करोड़ का बिक जाएगा.पुलिस के मुताबिक इन दोनों ने कारोबारी से आरपी मेटल की जांच के नाम पर एक करोड़ 43 लाख रुपये खर्च करवाए.

कारोबारी को बताया गया कि उस पैसे से एस्ट्रोनॉट शूट और जांच से जुड़ा सामान लिया गया है जो बहुत महंगा है. जबकि के शूट महज़ 1200 रुपये में चांदनी चौक से लिए गए थे. इन्होंने ये भी बताया कि जांच के लिए डीआरडीओ से एक वैज्ञानिक बुलाया गया जिसकी फीस बहुत ज्यादा है. कारोबारी को एक फ़र्ज़ी लैब भी दिखाई गई, लेकिन बाद में ये कहा गया कि आसमान साफ नहीं होने की वजह से रेडियोएक्टिव आरपी पुलर की जांच नहीं हो सकी और जब तक जांच में ये सही नहीं पाया जाता जब तक नासा में इसे नहीं बेचा जा सकता.

असल में आरोपी पिता 56 साल का वीरेंद्र मोहन और 30 साल का उसका बेटा नितिन है. दोनों दिल्ली के पश्चिम विहार के रहने वाले हैं और 1990 से एक मोटर वर्कशॉप चला रहे थे. उन्होंने ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में खुद को अमेरिका की एक मेटल कंपनी का मालिक बताकर ठगी का ये नायाब तरीका अपना लिया. अब पुलिस इनके साथी नकली वैज्ञानिक की भी तलाश कर रही है. क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह के मुताबिक न तो आरपी पुलर नाम का कोई मेटल होता है और न नासा में इसका प्रयोग होता है.

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