उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन में 11 साल की निःशक्त बालिका के साथ स्कूल में दुष्कर्म करने वाले दुष्कर्मी को शुक्रवार को कोर्ट ने शेष प्राकृतिक जीवन जेल में रहने की सजा सुनाई है। यानी अब उसे अंतिम सांस तक उसे जेल में ही रहना होगा। मामले में कोर्ट ने टिप्पणी की, कि विद्यालय जैसे पवित्र स्थान पर दुष्कर्म करना दोषी की घृणित मानसिकता को प्रकट करता है। ऐसे दूषित मानसिकता वाले व्यक्ति को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उप संचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास ने बताया कि नीलगंगा थाना क्षेत्र के स्कूल में पढने वाली 11 साल की बालिका के साथ उसके परिचित मनोहर उर्फ मामा पिता भागीरथ चौहान (49) निवासी ग्राम टंकारिया पथ ने 25 जनवरी 2017 को स्कूल की बाथरूम में ले जाकर दुष्कर्म किया था। बालिका के शोर मचाने पर मनोहर मौके से भाग निकला था।
बालिका मानसिक रूप से निःशक्त थी। उसने इशारे में घटना की जानकारी दी। इस पर पुलिस ने मूकबधिर जिला विकलांग एवं पुर्नवास केंद्र के विशेषज्ञ एमआर व एसआई को बुलाकर परीक्षण करवाया था। इसके अलावा पीडिता के बयान मूकबधिर स्पेशलिस्ट मोनिका पुरोहित से करवाए गए थे। इसमें उसने घटना की जानकारी दी। इस पर कोर्ट ने शुक्रवार को मनोहर को शेष प्राकृतिक जीवन जेल में रहने की सजा सुनाई है। प्रकरण में शासन की और से पैरवी विशेष लोक अभियोजक सूरज बछेरिया ने की।
मनोहर ने कोर्ट से निवेदन किया था कि यह उसका प्रथम अपराध है तथा उसकी न्यायिक हिरासत की अवधि और उसकी आयु को ध्यान में रखते हुए उसके प्रति उदारता का रुख अपनाया जाए। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की है कि प्रकरण की समस्त स्थिति को देखते हुए मनोहर उर्फ मामा ने एक ऐसी बालिका जो मानसिक एवं शारीरिक रूप से निरूशक्त है, के साथ विद्यालय जैसे पवित्र स्थान पर दुष्कर्म किया है। यह कृत्य आरोपित की घृणित मानिकता को प्रकट करता है। ऐसे दूषित मानसिकता वाले व्यक्ति को समाज में रहने का अधिकार नहीं है। इसलिए दंड के संबंध में वह उदारता का पात्र नहीं है।