नागपुर| वर्ष 1993 के श्रृंखलाबद्ध मुंबई बम विस्फोटों के लिए फांसी पर लटकाए गए याकूब मेमन का शव जेल परिसर में ही दफनाया जाएगा। इसे उसके परिजनों को नहीं सौंपा जाएगा।

याकूब को गुरुवार सुबह 6.35 बजे नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी दी गई। इससे पहले उसने अपने बचाव के सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल किया। उसकी दया याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई तड़के तीन बजे से शुरू होकर पांच बजे तक चली।

जेल प्रशासन ने याकूब का शव उसके परिवार को सौंपने से इंकार किया है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद उसे जेल परिसर में ही एक एकांत स्थान पर दफनाया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार सुबह पांच बजे तक चली एक विशेष सुनवाई में याकूब की अंतिम दया याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद सुबह 6.35 बजे उसे जेल परिसर में फांसी दे दी गई।

फांसी की पूरी प्रक्रिया नियमानुसार मजिस्ट्रेट की निगरानी में हुई और इसकी वीडियो रिकॉर्डिग भी की गई।

याकूब को फांसी दिए जाने के बाद सदमे में डूबे उसके रिश्तेदारों सुलेमान मेमन और उस्मान मेमन को पास ही के एक होटल में उनके कमरों में बंद रखा गया, वहीं उसकी पत्नी और बेटी को अज्ञात स्थान पर रखा गया है।

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि याकूब के रिश्तेदारों को उसकी अंत्येष्टि में शामिल होने की अनुमति दी गई है या नहीं।

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