भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नर्मदा के तटों पर होने वाले वृक्षारोपण में लगाये जाने वाले पौधों की देखरेख वृक्ष-मित्र करेंगे। प्रत्येक पौधे के लिए वृक्ष-मित्र होंगे, जो पौधों की देखभाल करेंगें। वृक्ष-मित्र स्थानीय व्यक्ति होंगे। श्री चौहान आज मंत्रालय में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अभिभाषकों एवं पर्यावरणविदों से चर्चा कर रहे थे। प्रतिनिधि-मंडल ने नदी संरक्षण की दिशा में मुख्यमंत्री की पहल को क्रांतिकारी बताया और कहा कि यह नदी संरक्षण के प्रयासों को नई गति और दिशा देगी। प्रतिनिधि-मंडल ने पर्यावरण विषय पर शीघ्र आयोजित की जाने वाले कार्यशाला में शामिल होने का मुख्यमंत्री से अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रतिनिधि-मंडल को जुलाई में होने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उनको वृक्षारोपण संबंधी कार्ययोजना में सहयोग के लिये वन विभाग के साथ बैठक करवाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अमरकंटक को यूकेलिपटस मुक्त बनाया जायेगा। यूकेलिपटस का एक पेड़ उखाड़ कर, पर्यावरणीय महत्ता के पाँच पेड़ लगवाए जायेंगे। उन्‍होंने बताया कि शासकीय निजी नर्सरियों में वृक्षरापेण के लिये पौधे तैयार करवाए गये हैं। पौधरोपण में एक वर्ष से अधिक उम्र के अधिकांश तथा कुछ दो वर्ष से अधिक उम्र के पौधें होंगे। उन्होंने बताया कि निजी भूमि पर फलदार वृक्षों में स्थानीय पर्यावरण के अनुकूल पौधरोपण के लिये किसानों को प्रेरित किया जायेगा।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि धरती पर सबका अधिकार है। नर्मदा जी की जिस तरह से अनदेखी हो रही थी, उससे नर्मदा जी की जैव-विविधता खत्म होने के कगार पर पहुँच गई। इसे यदि रोका नहीं गया तो मानव अस्तित्व पर प्रश्न खड़े हो जायेंगे। सरकार का दायित्व है कि वह विकास और पर्यावरण संरक्षण, दोनों कार्य करें। प्रतिनिधि मंडल में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन के वर्मा, पर्यावरणविद् सुभाष पान्डे, एस.एन. चौकसे, एस.आर. वाघमारे एवं एन.जी.टी. बार एसोसिएशन के सदस्य उपस्थित थे।

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