भोपाल। मध्यप्रदेश में मैदानी स्तर से पुलिस की लगातार मिलती शिकायतों को देखते हुए राज्य सरकार 2018 बैच के उप पुलिस अधीक्षकों (डीएसपी) की मैदानी पदस्थापना करने जा रही है। सरकार का मानना है कि मैदान में नए अधिकारी जाएंगे तो फिजूल के झमेलों से दूर रहकर जनता के हित में अच्छा काम करेंगे। इससे सरकार के प्रति जनता में भरोसा कायम होगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ इस संबंध में इशारा कर चुके हैं। गणतंत्र दिवस और उसके बाद रायपुर में आयोजित सेंट्रल जोन काउंसिल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री इस संबंध में अंतिम निर्णय लेंगे। नए पुलिस अफसरों की मैदानी पदस्थापना तीन माह बाद होने वाले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
पुलिस प्रशिक्षण अकादमी से ट्रेनिंग पूरी कर चुके 37वें बैच के करीब 36 डीएसपी इन दिनों में इंदौर आरएपीटीसी में ट्रेनिंग ले रहे हैं। इनकी फरवरी में पासिंग परेड कराई जा सकती है। जबकि 38वें बैच में 40 से ज्यादा सदस्य हैं, जो ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं। दोनों ही बैच के अफसर वर्ष 2018 में एमपी पीएससी से चुने गए हैं। इन अफसरों को अब मैदान में उतारने की तैयारी है।
जानकार बताते हैं कि इन अफसरों की पदस्थापना ऐसी जगह (एसडीओपी एवं पुलिस अधीक्षक कार्यालय) की जाएगी, जो सीधे जनता से संपर्क में रहते हैं। इन अफसरों पर जनता में सरकार की छवि सुधारने की जिम्मेदारी भी रहेगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेशभर से छोटे-छोटे मामलों में पुलिस की अनदेखी और लापरवाही की शिकायतें मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच रही हैं। राज्य स्तर से सख्त निर्देश दिए जाने के बाद भी मैदानी पुलिसिंग में कसावट नहीं आ रही है। इसे देखते हुए सरकार ने नए अफसरों को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है।
नए अफसरों की पदस्थापना के साथ ही सरकार उप पुलिस अधीक्षक स्तर के पुराने अफसरों को लूप लाइन (कम महत्व के स्थान) में भेजेगी। सरकार चाहती है कि जनता का इन अफसरों से कम वास्ता पडना चाहिए, क्योंकि तमाम निर्देशों के बाद भी यह अफसर मैदानी स्तर पर व्यवस्थाएं नहीं बना पाए।
नए डीएसपी की पदस्थापना की एक बडी वजह तीन माह बाद संभावित नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव भी बताए जा रहे हैं। सरकार चाहती है कि नए अफसर आएंगे तो कानून व्यवस्था दुरस्त रखने के साथ स्थानीय राजनीति में भी नहीं पडेंगे। इससे चुनाव के ऐन पहले अफसरों को मैदानी पदस्थापना से हटाने की नौबत आने से भी बचा जा सकता है।