भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी का बड़ा बयान सामने आया है। चंद्रिका प्रसाद का दावा है, कि नए साल में पूरी कांग्रेस पार्टी नए कलेवर में नजर आएगी, इतना ही नहीं दिसंबर के आखिर तक कांग्रेस अपने करीब दो दर्जन निष्क्रिय जिला अध्यक्षों की छुट्टी कर देगी, साथ ही करीब पचास से ज्यादा ब्लॉक अध्यक्षों पर गाज गिरना तय है। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष अरूण
यादव लंबे समय बाद भी जिÞला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों को बाहर का रास्ता नहीं दिखा सके, क्योंकि अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्वजय सिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी के समर्थकों को पद से हटाना अरूण यादव के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, कुछ दिनों पहले पीसीसी चीफ अरूण यादव ने राहुल गांधी से मुलाकात कर प्रदेश के हालात बता दिए हैं, पार्टी सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने अरूण यादव को पार्टी में सर्जरी करने के लिए हरी झंडी दे दी है, जिसके चलते पीसीसी में निष्क्रिय पदाधिकारियों की सूची तैयार की जा रही है, इस महीने के आखिर तक कई जिला अध्यक्षों की छुट्टी कर दी जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष चयन में कांग्रेस उलझी
विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता पर पार्टी फैसला नहीं कर पा रही है, जिससे न केवल सदन में कांग्रेस का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है, बल्कि सरकार के कुछ संवैधानिक पदों की नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस शीतकालीन सत्र के पहले नेता प्रतिपक्ष के चयन की तैयारी में थी, लेकिन प्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनाव में नतीजे अनुकूल न आने से यह टल गया। मध्यप्रदेश में लोकायुक्त, मप्र मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका रहती है। प्रदेश में लोकायुक्त संगठन में लंबे समय से लोकायुक्त नहीं है। पूर्व लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर को भी सरकार ने एक बार सेवाकाल बढ़ाकर पद रिक्त होने से बचाया था, लेकिन फि र उनका कार्यकाल समाप्त होने के पहले उप लोकायुक्त की नियुक्ति कर सरकार ने काम चलाया।
नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका
मप्र लोकायुक्त अधिनियम की धारा सी 1 (ए) में मप्र लोकायुक्त की नियुक्ति में प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष या प्रमुख विपक्षी दल द्वारा अधिकृत व्यक्ति की भूमिका होती है। इसी तरह मप्र मानव अधिकार आयोग अधिनियम 1993 की धारा 22 में आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष व गृह मंत्री के साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की सहमति होती है।

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